- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- अमरावती
- /
- चिखलदरा में नई प्रजाति, कीड़े खाकर...
Amravati News: चिखलदरा में नई प्रजाति, कीड़े खाकर फसलों और पेड़ों की रक्षा करती है हायब्रोसिस्टम चिखलदरेंसिस मकड़ी

- कुछ प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया और सोलोमन द्वीप समूह में भी पाई जाती है
- अब तक इस मकड़ी की 59 प्रजातियां खोजी जा चुकी है
Amravati News विदर्भ के नंदनवन मेलघाट में मकड़ी की एक नई प्रजाति ‘हाइब्रोसिस्टम चिखलदारेंसिस’ की खोज की गई है। शोधकर्ताओं ने बताया कि मकड़ी के नाम में चिखलदरा शब्द इसलिए जोड़ा गया , क्योंकि इसकी खोज चिखलदरा में हुई है। इस शोध ने मेलघाट में समृद्ध जैव विविधता को नए सिरे से उजागर किया है। यह शोध ‘सर्किट द आर्कनोलॉजिकल बुलेटिन ऑफ द मिडिल ईस्ट एंड नॉर्थ अफ्रीका’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोध लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. अतुल बोडखे और उनकी शोध छात्रा कृतिका राव ने किया है। दर्यापुर के जे.डी. पाटिल कॉलेज स्थित कोली अनुसंधान प्रयोगशाला में इसकी पुस्टि की गई।
शोधकर्ता डॉ. अतुल बोडखे ने बताया, प्रकृति के चक्र को संतुलित रखने में मकड़ियां बहुत उपयोगी होती हैं। ‘हैब्रोसिस्टम जंपिंग स्पाइडर’ यह एक मांसाहारी जीव है जो जमीन पर रहता है। वे अपने आकर्षक रूप और व्यवहार, विशेषकर अपनी असाधारण दृश्य तीक्ष्णता के लिए जाने जाते हैं।
वे विभिन्न प्रकार के आवासों में पाए जाते हैं, जिनमें भारत के पश्चिमी घाट और यूरेशिया और अफ्रीका के अन्य भाग शामिल हैं। इन मकड़ियों की कुछ प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया और सोलोमन द्वीप समूह में भी पाई जाती हैं। अब तक इस मकड़ी की 59 प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं। जिनमें से नौ प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। आमतौर पर विभिन्न प्रकार के आवासों में पाईजाती हैं, जिससे वे पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण संकेतक बन जाती हैं। उनका मुख्य भोजन कीड़े-मकौड़े हैं, इसलिए वे उन्हें खाकर फसलों और पेड़ों की रक्षा करती हैं।
यह मकड़ियां पक्षियों, छिपकलियों और अन्य कीड़ों का भोजन होती हैं, इसलिए उनका उपयोग प्रकृति के चक्र को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है। इन मकड़ियों द्वारा बनाए गए जाल चिकित्सकीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।
Created On :   3 May 2025 3:45 PM IST