Amravati News: तहसीलदार से कम ओहदे वाले अधिकारियों के बनाए जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र होंगे रद्द

तहसीलदार से कम ओहदे वाले अधिकारियों के बनाए जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र होंगे रद्द
  • महाराष्ट्र सरकार ने जारी की अधिसूचना
  • आधार पर बने प्रमाणपत्र तत्काल रद्द किए जाएंगे

Amravati News फर्जी और अवैध जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों पर रोक लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सख्त कदम उठाया है। राज्य शासन के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने 16 सितंबर को अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके तहत अब तहसीलदार व तहसील दंडाधिकारी, उपविभागीय दंडाधिकारी और जिलाधिकारी को ही विलंबित जन्म-मृत्यु पंजीयन के आदेश देने का अधिकार होगा। भारत सरकार द्वारा जन्म-मृत्यु अधिनियम 1969 में किए गए संशोधन के बाद यह अधिसूचना लागू की गई है। शासन ने स्पष्ट किया है कि तहसीलदार से कम पोस्ट के अधिकारियों द्वारा अतीत में जारी किए गए आदेश अवैध माने जाएंगे और ऐसे आधार पर बने प्रमाणपत्र तत्काल रद्द किए जाएंगे।

सरकार के ये हैं आदेश : एक वर्ष से अधिक विलंबित जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन पर कार्रवाई। तहसीलदार से कम दर्जे के अधिकारियों द्वारा दिए गए आदेश पर बना रजिस्ट्रेशन रद्द होगी। सभी निबंधक तत्काल ऐसे रजिस्ट्रेशन की सूची तहसीलदार को सौंपेंगे तहसीलदार जांच कर आदेश रद्द करेंगे और संबंधित जानकारी पुलिस व जिला निबंधक को देंगे। फर्जी आदेशों पर आधारित पंजीयन रद्द। जिला निबंधक व आरोग्य अधिकारी सूची तैयार कर तहसीलदार को देंगे। जांच में नकली आदेश पाए जाने पर रजिस्ट्रेशन रद्द की जाएगी और संबंधित व्यक्तियों पर पुलिस कार्रवाई होगी।बिना किसी आदेश किए गए पंजीयन रद्द। निबंधक द्वारा बिना आदेश पर किए गए पंजीयन भी जांचकर रद्द किए जाएंगे।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी अथवा उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी इस प्रक्रिया को पूरा करेंगे। प्रमाणपत्र जब्त करने की सख्त कार्यवाही- सरकार ने यह भी आदेश दिया है कि रद्द किए गए आदेशों पर आधारित प्रमाणपत्र संबंधित व्यक्तियों से 7 दिनों में तहसील कार्यालय में जमा कराए जाएं। तय समय में जमा न करने पर पुलिस उन प्रमाणपत्रों को जप्त करेगी।

तीन माह में पूर्ण होगी विशेष मुहिम : यह पूरी कार्यवाही विशेष मुहिम के तहत आदेश जारी होने के 3 माह के भीतर पूरी करनी होगी। किसी भी स्थिति में समयवृद्धि नहीं दी जाएगी। इस अभियान में रद्द किए गए सभी प्रमाणपत्रों की जानकारी जिला प्रशासन द्वारा शासन को सौंपी जाएगी।तीन विभागों की सहमति से निर्णय :

यह निर्णय गृह विभाग, राजस्व व वन विभाग तथा नगरविकास विभाग की सहमति से लिया गया है। अधिसूचना महाराष्ट्र शासन की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है। इस आदेश पर राज्यपाल के नाम से गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव कैलाश सालुंके ने डिजिटल हस्ताक्षर कर अधिसूचना जारी की है।

सात माह बाद 42 पर चार्जशीट दाखिल : शहर में चर्चित फर्जी जन्म प्रमाणपत्र प्रकरण में गाडगेनगर पुलिस ने सात माह की लंबी जांच पूरी करते हुए अंततः अदालत में बुधवार को चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस प्रकरण में 42 आरोपियों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 120(ब) समेत कई गंभीर धाराओं के तहत आरोपपत्र पेश किया गया है।

ऐसे खुला फर्जीवाड़ा : पुलिस सूत्रों के अनुसार मनपा कार्यालय से नियमों को दरकिनार कर बोगस तरीके से जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाने की शिकायत सामने आने के बाद यह मामला दर्ज हुआ था। जांच में पता चला कि सरकारी कर्मचारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। आरोपियों ने विविध प्रक्रिया की अनदेखी कर अवैध रूप से जन्म प्रमाणपत्र जारी किए, जिससे संदेहास्पद लोगों को नागरिकता संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि राजनीतिक दबाव और मिलीभगत के चलते यह फर्जीवाड़ा संभव हुआ। इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने कई बार आंदोलन किए और पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाते हुए दोषियों को बेनकाब करने की मांग की।

236 लोगों के नाम संदिग्ध मिले थे : सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान 236 लोगों के नाम संदिग्ध रूप से सामने आए थे, लेकिन पुख्ता सबूत केवल 42 आरोपियों के खिलाफ ही मिले। पुलिस ने संबंधित दस्तावेजों की गहन जांच, गवाहों के बयान और तकनीकी साक्ष्य जुटाने के बाद यह चार्जशीट अदालत में दाखिल की। चार्जशीट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने में कुछ सरकारी कर्मचारियों की सक्रिय भूमिका रही।


Created On :   18 Sept 2025 2:55 PM IST

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