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पालकमंत्री भूमरे व विप में विपक्ष के नेता दानवे के बीच हुई तू-तू, मैं-मैं
डिजिटल डेस्क, छत्रपति संभाजीनगर। जिलाधिकारी कार्यालय में सोमवार को आयोजित जिला नियोजन समिति की बैठक में निधि के असमान वितरण का आरोप लगाए जाने पर खूब हंगामा हुआ। उद्धव ठाकरे गुट के कन्न्ड़ के विधायक उदयसिंह राजपूत द्वारा निधि नहीं मिलने का मुद्दा उठाने पर पालकमंत्री संदीपान भूमरे व मंत्री अब्दुल सत्तार द्वारा उन्हें सीधे केवल नाम से संबाेधित किए जाने से शाब्दिक विवाद शुरू हुआ। इसके बाद विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता अंबादास दानवे उठ खड़े हुए और भूमरे व सत्तार को खरीखोटी सुनाई। विवाद तू-तू, मैं-मैं तक पहुंचते-पहुंचते इतना बढ़ा कि दोनों एक-दूसरे की ओर चढ़ दौड़ने के लिए तत्पर हो गए, लेकिन वरिष्ठ नेता हरिभाऊ बागड़े व अन्य विधायक बीच में आ गए और मामला शांत किया। इस समय दानवे ने गुस्से में कह दिया कि पालकमंत्री हैं, कोई जागीरदार नहीं हैं। इस पर भूमरे भी बोले कि हां, हूं मैं जागीरदार। पालकमंत्री होने के नाते मुझे निधि कहां, कैसे उपयोग में देनी है, तय करने का हक है।
ऐसे सुलगा निधि का विवाद
शिंदे व ठाकरे गुट में विवाद होना यूं तो आम है, पर सार्वजनिक रूप से पहली बार सोमवार को जिला नियोजन समिति की बैठक में दोनों गुट भिड़े। शुरुआत निधि वितरण पर ठाकरे गुट के विधायक राजपूत द्वारा अन्याय किए जाने का आरोप लगाने से हुई। उन्होंने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में कार्य रुक गए हैं। जहां जरूरत नहीं है, उन गांवों को तो सड़कें दी जा रही हैं, पर मेरे कार्यों की सूची को कचरे की टोकरी में फेंका जा रहा है। इस पर भूमरे ने कहा कि ऐसा नहीं है। यदि कोई साेचता है कि उसे अधिक निधि मिलनी चाहिए, तो ऐसा नहीं है, सभी को जरूरत के हिसाब से समान निधि दी जाती है। जितना हमने वैजापुर, सिल्लोड़, गंगापुर को दिया है, उतना ही कन्नड़ को दिया है। जैसा बता रहे हो, ऐसा कुछ नहीं हुआ। अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार ने भी यही रुख अपनाया। इस पर बहस होने पर विधायक राजपूत के आरोपों को पूर्णतया खारिज करते हुए भूमरे ने कहा कि जो काम रुके हैं, उनके बारे में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर खुलासा करने के लिए कहेंगे। मैं पालकमंत्री हूं, मेरे पास किसे, कितनी निधि देनी है, उसके अधिकार हैं।
इस पर विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता अंबादास दानवे भड़ककर उठ खड़े हुए। आरोप लगाया कि आप विपक्षी विधायकों को निधि नहीं देते। केवल विपक्षी विधायकों को फंड से वंचित रखा जा रहा है। आप पक्षपाती हैं। इसका भूमरे ने भी उत्तर दिया और दोनों के बीच तू-तू, मैं-मैं हुई जिससे बैठक में तनाव उत्पन्न हो गया। दानवे खड़े होकर चिल्लाते रहे, पर भूमरे बैठे-बैठे ही जवाब देते रहे। दानवे ने कहा कि जिला नियोजन समिति से किस तरह तहसील वार निधि वितरित की, इसकी जानकारी दें। कहा कि पालकमंत्री हैं कोई जागीरदार नहीं। इस तरह से विधायक के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। इस पर भूमरे भी बोले कि हां, आज हूं मैं जागीरदार। पालकमंत्री होने के नाते मुझे निधि कहां, कैसे उपयोग में देनी है, तय करने का हक है। इसी समय राजपूत भी नाराज हो गए और कार्यों की सूची और अन्य दस्तावेज सभागृह में फेंककर रोष व्यक्त किया। वरिष्ठ नेताओं ने बीचबचाव कर दोनों पक्षों को शांत किया।
विरोध करना विरोधी पक्ष का काम है। उनको उद्धव ठाकरे को दिखाना पड़ता है कि पालकमंत्री का कैसा विरोध किया। पूर्व पालकमंत्री कमीशन लेकर कैसे काम करते थे, इसकी जानकारी भी विरोधी पक्ष नेता दानवे को होगी। रही, मेरे पैसे लेने की बात, तो जो आरोप लगाए हैं, उन्हें सिद्ध तो करो, नहीं तो ये सब बंद करो। विधायक राजपूत के निर्वाचन क्षेत्र के लिए 12 करोड़ रुपए, तो दानवे के निर्वाचन क्षेत्र के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपए की निधि दी गई है। उनका जालना भी निर्वाचन क्षेत्र है, वह वहां से भी निधि की मंाग करें। हम सभी को समान निधि देने का प्रयास करते हैं। यहां ठाकरे गुट या अन्य गुट का विषय ही नहीं हो सकता। आज जो हुआ, वह कोई झगड़ा नहीं था। कोई किसी को मारने नहीं दौड़ा। - संदीपान भूमरे, पालकमंत्री
विधायक उदयसिंह राजपूत को शुरुआत ने थोड़ी गलतफहमी हुई। विपक्षी दल के नेताओं ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ उन्नीस-बीस का आंकड़ा बताया, लेकिन पालकमंत्री ने इसका खुलासा कर दिया। इसके बाद दोनों संतुष्ट हो गए। सिर्फ ऊंची आवाज में बोलने से बहस नहीं होती। - अब्दुल सत्तार, वाणिज्य मंत्री
शिंदे गुट के साथ नहीं जाने से मेरे से बदला लिया जा रहा है। इस कारण निधि नहीं दी जा रही। पिछले एक साल में मेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक दमड़ी भी नहीं दी गई्र। प्रशासन की मनमानी चल रही है। आज तक कभी किसी अभिभावक मंत्री को बदले की ऐसी भावना से काम करते नहीं देखा। - उदयसिंह राजपूत, विधायक कन्नड़
मैं बालासाहब का शिवसैनिक हूं, अब अन्याय बर्दाश्त नहीं करूंगा। मैंने पहले भूमरे संग कार्य किया, इस कारण शांत बैठा था। दूसरा कोई होता तो शिवसैनिक क्या हाेता है, यह दिखा देता। - अंबादास दानवे, विधायक
हर विधायक को लगता है कि उसे अधिक निधि मिलनी चाहिए, लेकिन यह एक अलिखित नियम है कि सत्ता पक्ष के विधायकों को ही अधिक निधि मिलती है। इसके बावजूद पालकमंत्री सभी तहसीलों को समान निधि देने का प्रयत्न करते हैं। पहले तो कन्नड़ विधायक को मिलने वाली निधि में कोई कमी नहीं नजर आ रही थी, अब अचानक बढ़ी निधि की जरूरत क्यों पड़ गई। निधि मिलती ही नहीं है, यह आरोप भी झूठा है। और उन्होंने आजादी के बाद से जिस गांव में सड़क नहीं है, उसका मुद्दा ढाई साल की उद्धव सरकार में क्यों नहीं उठाया। - संजय शिरसाठ, विधायक
Created On :   8 Aug 2023 1:20 PM IST