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Bhandara News: लाखनी सब्जी मंडी में नकली जीएसटी बिल दिखाकर सरकार को लगाया चूना

- 60 टन का कांटा किया जब्त
- समाजसेवी ने की थी फर्जीवाड़े की शिकायत
Bhandara News कृषि उपज मंडी लाखनी के तत्कालीन संचालक मंडल द्वारा सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए फर्जी जीएसटी बिल जमा कर वैध माप-तौल कार्यालय के साथ धोखाधड़ी करने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मामला सामने आने पर 2020 में स्थापित 60 टन क्षमता वाला वाहन कांटा अब जब्त कर लिया गया है। जिससे मंडी को प्रत्येक महीने 60 हजार रुपए का नुकसान होने वाला है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दीपराज इलमकर के प्रयासों से इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। इस प्रकरण में तत्कालीन संचालकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है।
मार्केट कमेटी के मुख्य प्रांगण में 2020 में एक नया वाहन कांटा लगाया गया था। नियमों के अनुसार, इस कांटे को शुरू करने से पहले वैध माप-तौल कार्यालय द्वारा सत्यापन और मुहर लगाना अनिवार्य है। तत्कालीन संचालक मंडल ने रायपुर स्थित वेटोट्रॉनिक्स वेइंग सिस्टम कंपनी के नाम पर 5 लाख 8 हजार 580 रुपये के कांटे और 1000 किलो के कांटे के लिए 70 हजार रुपए का फर्जी जीएसटी बिल तैयार किया था। खास बात यह है कि इस कंपनी का जीएसटी नंबर 1 अक्टूबर 2019 को रद्द कर दिया गया था। फिर भी, यह फर्जी बिल 14 मार्च 2020 को साकोली स्थित विधिक माप विज्ञान कार्यालय में जमा कर दिया गया और सरकारी तंत्र को धोखा दिया गया।
इस बीच, डॉ. दीपराज इलमकर द्वारा संयुक्त नियंत्रक विधिक माप विज्ञान संभागीय कार्यालय नागपुर में शिकायत दर्ज कराने के बाद जांच शुरू हुई। जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। कांटे की खरीद का बिल जहां सैंसुई कंपनी का था, वहीं मॉडल अनुमोदन फिलिप्स कंपनी का जमा किया गया था। यह कांटा "नॉन स्टैंडर्ड' साबित हुआ। इसलिए यह स्पष्ट हो गया कि इसे जारी नहीं रखा जा सकता। अंततः संयुक्त नियंत्रक पी. एम. बिरादर के मार्गदर्शन में निरीक्षक ए. आर. कोहरू ने 9 सितंबर, 2025 को उक्त कांटे को जब्त कर सील कर दिया।
अब जब यह कांटा बंद हो गया है तो कृषि मंडी को आर्थिक नुकसान हो रहा है। जांच के दौरान एक और बड़ा खुलासा हुआ। श्री वेटोट्रॉनिक्स वेइंग सिस्टम कंपनी के अनुसार कभी भी बाजार समिति को कांटा नहीं बेचा है और बिल भी नहीं दिया है। जबकि मंडी के सचिव संजय परोडे ने भी कहा है, 'हमने उनसे कुछ भी नहीं खरीदा है'। ऐसे में यह फर्जी बिल कैसे तैयार किया गया? जीएसटी की चोरी कर सरकार को गुमराह करने के पीछे तत्कालीन निदेशक मंडल का वास्तविक उद्देश्य क्या था? यह सवाल उठ रहा है। इस मामले ने कृषि उपज मंडी में हड़कंप पैदा किया है। किसानों और व्यापारियों में असंतोष है। इस प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की मांग होने लगी है।
Created On :   11 Sept 2025 3:17 PM IST