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Chandrapur News: बाघों के हमलों को नियंत्रित करने कार्रवाई करें: मुनगंटीवार

- वनविभाग को बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष पर बैठक में दिए आदेश
- वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक
Chandrapur News जिले में बाघों के बढ़ते हमलों ने ग्रामीणों में भय का माहौल निर्माण कर दिया है। पिछले डेढ़ महीने में नौ लोगों की जान जा चुकी है। इससे लोगों में असंतोष फैल रहा है। इन बढ़ते हमलों के कारण अनावश्यक रूप से जनहानि हो रही है, इसलिए यह बैठक आयोजित की गई। ग्रामीणों के साथ-साथ जानवरों की जान जाने की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग को बाघों के हमलों पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसा पूर्व वन, सांस्कृतिक मामले और मत्स्य पालन मंत्री विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने बैठक में कहा। मुल तहसील में बाघों के हमलों में मारे गए नागरिकों के संबंध में रामबाग विश्राम गृह में वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकवन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकआयोजित की गई।
इस अवसर पर मुख्य वनसंरक्षक डॉ. जितेंद्र रामगावकर, वनसंरक्षक तथा ताडोबा अंधारी बाघ प्रकल्प क्षेत्र संचालक प्रभुनाथ शुक्ला, उपसंचालक (बफर) कुशाग्र पाठक, उपवनसंरक्षक श्वेता बोड्डू, मूल के उपविभागीय अधिकारी अजय चरडे, तहसीलदार मृदुला मोरे, विभागीय वनअधिकारी (प्रोटेक्शन) निकिता चौरे, सहाय्यक वनसंरक्षक (बफर) संकेत वाठोरे, आदेश शेडंगी, सार्वजनिक बांधकाम विभाग के कार्यकारी अभियंता मुकेश टांगले, वनपरिक्षेत्र अधिकारी राहुल कारेकार, प्रियंका वेलमे आदि उपस्थित थे। विधायक मुनगंटीवार ने कहा, भगवानपुर गांव में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की पृष्ठभूमि में बाड़बंदी की तत्काल मंजूरी ली जानी चाहिए। मुल तहसील के किसानों को बाड़बंदी के लिए जंगल में पड़े बांस उपलब्ध कराए जाने चाहिए। इसके लिए वन विभाग गांवों में जाकर किसानों का पंजीयन करंे और किसानों को बांस उपलब्ध कराए।
वन विभाग एफडीसीएम के साथ मिलकर बाड़बंदी के लिए बजट तैयार करे। भगवानपुर रोड के दोनों तरफ 20 मीटर की दूरी पर झाड़ियों की कटाई की जाए। बाघ के हमलों से बचने के लिए कोई भी व्यक्ति लकड़ियां बुनने जंगल में न जाए। अगर ग्रामीणों को बाड़ लगाने की जरूरत है तो वे वन विभाग से संपर्क करें। इसके लिए किसानों का पंजीकरण किया जाना चाहिए और वन विभाग उन्हें बाड़ लगाने की व्यवस्था करे। पिछले डेढ़ माह में बाघ के हमले में नौ ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, ऐसे में वन विभाग को बाघों के बारे में सटीक जानकारी मिलनी चाहिए। पिछले दो साल में 22 बाघ पकड़े गए हैं। जिले में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को देखते हुए ऐसी घटनाओं को रोकने और आपातकालीन स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए प्रत्येक प्रभाग में एक प्राथमिक रेस्क्यू टीम (पीआरटी) तैनात की गई है, जिसमें कुल 917 सदस्य कार्यरत हैं।
वन विभाग के नियमों का पालन नहीं : तेंदूपत्ता सीजन के दौरान 50 से 60 हजार लोग जंगल जाते हैं, लेकिन वे वन विभाग के नियमों का पालन नहीं करते और समूह में नहीं रहते, जिससे वन विभाग के लिए जंगल पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। नतीजतन बाघों के हमले बढ़ जाते हैं और जनहानि होती है। यह जानकारी मुख्य वन संरक्षक डॉ. जितेंद्र रामगांवकर ने दी।
Created On :   1 Jun 2025 5:38 PM IST