Chhindwara News: वन विभाग की आपत्ति के बाद देरी से शुरू होगा डोंगरदेव मेला

वन विभाग की आपत्ति के बाद देरी से शुरू होगा डोंगरदेव मेला
वन्य प्राणियों की मौजूदगी के चलते बने हालात, शनिवार से शुरू होना था अब 12 नवंबर से होगा मेले का शुभारंभ

Chhindwara News: पेंच नेशनल पार्क की सीमा से लगे चौरई के डोंगरदेव के जंगलों में मेले का आयोजन 12 नवंबर से होगा। पहले यह मेला शनिवार से शुरू होने वाला था। वन विभाग की आपत्ति के बाद भी ग्रामीण जिद पर अड़े रहे ऐसे में मेले का आयोजन एक सप्ताह देरी से होगा। आदिवासी समाज की मान्यताओं के बीच मेले में पंद्रह दिन में यहां हजारों लोग पहुंचते हैं।

सांख वन परिक्षेत्र के डोंगरदेव के जंगलों में हर साल मेले का आयोजन किया जाता हैं। पेंच नदी के किनारे घना जंगल और बड़ी-बड़ी चट्टानों के चलते यह एक मनोहारी पिकनिक स्पॉट भी हैं। कार्तिक की पूर्णिमा से यहां वन विभाग द्वारा वन समिति के माध्यम से मेला आयोजित होता है। इस साल यहां वन्य प्राणियों की मौजूदगी के चलते मेला देरी से भर रहा है। पहले शनिवार से मेले को शुरू करने की मुनादी की गई थी लेकिन ग्रामीणों पर वन विभाग के बीच सहमति के बाद अब यह आयोजन 12 नवंबर से करने पर सहमति बनाई गई है।

ऐसे पहुंचे डोंगरदेव: डोंगरदेव के लिए चौरई नगर के सिवनी बायपास से सीधा रास्ता है। सिवनी बायपास से हसनपुर होते हुए सडक़ सीधे सांख गांव पहुंचती है। यहां से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर पेंच नदी से लगा हुआ डोंगरदेव है। यहां सागौन के बड़े बड़े पेड़ के अलावा वन विभाग द्वारा बांस की रोपनी स्थित है। नदी किनारे ही भगवान शिव का मंदिर है। यहां का नजारा बेहद मनमोहक है।

पेंच नदी के किनारे है मनोरम स्थल

पेंच नदी के एक किनारे डोंगरदेव है, जबकि उस किनारे से पेंच पार्क का बफर जोन शुरू हो जाता है। पार्क और डोंगरदेव को पेंच नदी दो हिस्से में बांटती है। यहां घने जंगलों के साथ बड़े बड़े पत्थरों की चट्टानें हैं। इसके पास से ही पेंच नदी बहती है। मेला स्थल पर भगवान शिव और डोंगरदेव बाबा की प्रतिमा है। परंपराओं के अनुरूप यहां चट्टान के बीच से निकलने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

शावकों के साथ घूम रही बाघिन

सांख और उसके आसपास बाघिन और शावक को देखा जा रहा है। पेंच पार्क और नदी से लगे होने से यह क्षेत्र बाघ के कारीडोर में शामिल है। अक्सर बाघ की लोकेशन यहां मिलती है। पिछली साल बाघिन ने यहां के जंगल में शावक को जन्म भी दिया था। बीते दिनों बाघ ने एक गाय का शिकार भी किया है। ग्रेटिया और सांख के पास कार सवारों को दो अलग अलग बाघ नजर भी आ चुके हैं।

खतरनाक हैं नदी की गहराई

डोंगरदेव के पास पेंच नदी जितनी खूबसूरत है उतनी ही गहरी भी है। यहां पेंच नदी की गहराई सबसे अधिक है। ग्रामीणों के मुताबिक कई जगहों पर पेंच नदी की गहराई इतनी हैं कि इसकी गहराई नहीं नाप सकती है। यहां पर अब तक डूबने से 13 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। आम लोगों को सतर्क करने के लिए वन विभाग ने कई जगहों पर नदी के पास नहीं जाने का बोर्ड भी लगाया है।

Created On :   10 Nov 2025 3:13 PM IST

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