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Chhindwara News: रेत का खेल...एक ट्रैक्टर का 17 हजार रेट तय, पुलिस, प्रशासन, सत्ता के संरक्षण में खनन

- चांद का बांसखेड़ा और बादगांव बना रेत के अवैध उत्खनन का केंद्र बिंदु
- यहां 100 से ज्यादा ट्रैक्टर से रोजाना निकलती है लाखों की अवैध रेत
- चांद के आधा दर्जन घाटों का यही हाल, रेत के अवैध कारोबार को रोकने में प्रशासन नाकाम
Chhindwara News: चांद में जारी रेत के खेल में यहां के माफियाओं को अब प्रशासन और पुलिस का भी डर नहीं बचा है। 17 हजार में एक एक ट्रैक्टर महीने भर यहां से अवैध रेत निकाल सकते हैं। तय रकम देने के बाद यहां से निकलने वाली अवैध रेत चांद और चौरई में जहां चाहे वहां सप्लाई की जा सकती है। प्रदेश के बड़े नेताओं का डर बताकर यहां के अधिकारी ही रेत के इस अवैध कारोबार में सीधे शामिल है। अवैध रेत उत्खनन का सेंट्रल पाइंट बांसखेड़ा और बादगांव गांव बन गया है। जहंा पर 100 से ज्यादा ट्रैक्टर सुबह से ही अवैध रेत उत्खनन में लग जाते हैं।
सौंसर के बाद चौरई की खदानें इन दिनों रेत माफियाओं के लिए हॅाट-स्पॉट बनी हुई है। यहां सत्ता के दो केंद्रों के बीच रेत कारोबारी बंट गए हैं। एक वैध खदानों का संचालन कर रहा है तो दूसरा अवैध..लेकिन पूरे मामले में अफसरों की भूमिका संदिग्ध बन गई है।
बताया जा रहा है कि यहां जारी रेत के अवैध कारोबारी में चांद के पुलिस और प्रशासन की सीधी मिलीभगत है। बांसखेड़ा और बांदगांव में 100 से ज्यादा ट्रैक्टर रोजाना रेत निकालते हैं। दिन दहाड़े बेधडक़ अवैध उत्खनन होता है, लेकिन अधिकारियों को खबर रहने के बाद भी इस पर नकेल कसने की कोशिश नहीं होती। इस मामले में चौरई एसडीएम से संपर्क करने की कोशिश की गई लेिकन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
चांद के ये रेत घाट माफियाओं की पसंद
बांसखेड़ा और बादगांव के अलावा आधा दर्जन रेत घाट ऐसे हैं जो रेत माफियाओं की पसंद बने हुए हैं। चिखली, चंदनगांव, बेलगाव, हरणखेड़ी जैसे क्षेत्रों से बेतहाशा अवैध रेत निकाली जा रही है। पेंच नदी का क्षेत्र होने के कारण यहां बेहतर गुणवत्ता की रेत मिलती है, लेकिन खदानें स्वीकृत न होने के कारण इन अवैध खदानों से ही उत्खनन होता है।
यहां क्यों नहीं लग पा रही नकेल
यहां जारी रेत के अवैध कारोबार में सत्ता के दो केंद्र बन गए हैं। पहले जिला पंचायत सदस्य से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि इस कारोबार में सीधे शामिल थे, लेकिन अब बताया जा रहा है कि अब अधिकारी भी इस रेत के कारोबार में लिप्त हो गए हैं। एक दर्जन रेत घाट अफसरों की मर्जी से चल रहे हैं।
Created On :   17 May 2025 1:46 PM IST