नागद्वारी यात्रा: गुदगुदाते बादल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और झरनों का ठंडा पानी भुला देता है दर्द

गुदगुदाते बादल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और झरनों का ठंडा पानी भुला देता है दर्द
  • पहाड़ों पर खड़ी चढ़ाई, नीचे 1 हजार मीटर से भी गहरी खाई, झरनों का सौंदर्य अनुपम
  • रास्ते भर मिलने वाले देव स्थानों पर कपूर जलाने से भी राहत का एहसास होता है।
  • 1200 मीटर से भी ऊंची इस पहाड़ी पर करीब 500 मीटर की पैदल चढ़ाई के बाद माई की गिरी स्थान मिलता है।

Chhindwara News: 1 हजार फीट से भी ऊंचे पहाड़ों पर बिना सीढिय़ों के चढऩा बहुत कठिन होता है। पैदल सफर के दौरान जब शरीर का तापमान बढ़ जाता है, थकान से चलना मुश्किल हो जाता है, तब बादलों का स्पर्श पूरे शरीर को गुदगुदाता है। इस बीच झरनों का ठंडा पानी पूरे थकान भुला देता है। इस सफर के दौरान बारिश की फुहारे पैदल चढ़ाई और उतार को आसान बना देती है।

करीब 26 किलोमीटर की यात्रा के दौरान हम गुफाओं में बैठे पद्मशेष, चिंतामन, प्रथम द्वार और भोलेनाथ के भी दर्शन अनुपम रूप में करते हैं। पहाड़ों पर चढ़ते और उतरते समय खतरों भरे रास्ते होते हैं। पहाड़ों के बीच 70-80 फीट से भी ऊंचे-ऊंचे पेड़ दिखाई देते हैं, मानो वे भी आसमान को देखने की चाह रख रहे हों। 800 से 1 हजार मीटर ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ते और उतरते समय जब पैर जवाब देने लगते हैं तब झरनों का ठंडा पानी थकान दूर कर देता है। वहीं रास्ते भर मिलने वाले देव स्थानों पर कपूर जलाने से भी राहत का एहसास होता है।

बड़े द्वार पर विराजे पद्मशेष, महाद्वार में विराजे भोले बाबा, शिवलिंग पर निरंतर गिरता है झरना

काजली से करीब 5 किलोमीटर दूर 700 से 800 मीटर के ऊंचे पहाड़ों को पार कर हम बड़े द्वार पहुंचते हैं। यहां करीब 30 फीट गहरी और 4 फीट चौड़ी गुफा में पद्मशेष विराजे हैं। इसी पहाड़ के दूसरी तरफ महाद्वार में शिवलिंग पर लिपटे शेषनाग हैं। इन दोनों ही स्थानों पर पहाड़ों की चोटी से गिरता झरना निरंतर बह रहा है।

पहाड़ों पर ट्रैकिंग से भी मुश्किल है माई की गिरी के दीदार

नागद्वारी यात्रा के मुख्य स्थान बड़े द्वार के बाद चिंतामन होते हुए दूसरा पड़ाव माई की गिरी आता है। 1200 मीटर से भी ऊंची इस पहाड़ी पर करीब 500 मीटर की पैदल चढ़ाई के बाद माई की गिरी स्थान मिलता है। यह स्थान खुले हुए मुंह की तरह दिखता है। जहां चित्रशाला माता विराजी हैं। यहां पहुंचने के लिए चट्टानों को पकडक़र आधा रास्ता पार होता है। वहीं आधे रास्ते में चट्टानों पर टिकी लोहे की सीढिय़ां लगी हुई हैं।

रास्ता ऐसा है कि पहली बार यात्रा करने वालों के पैर खतरों को देख कांप जाते हैं। लेकिन भीड़ में मौजूद बुजुर्ग, बच्चे इनका मनोबल टूटने नहीं देते हैं। कई पीडिय़ों से लोग यहां यात्रा करने आते हैं। अब तो महिलाओं और बच्चों की संख्या हर साल बढऩे लगी हैं।

पहले दिन 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु झूमते हुए पहुंचे नागद्वार

पचमढ़ी में स्थापित कंट्रोल रूम के अनुसार पैदल चढ़ाई करने वाले श्रद्धालुओं के लिए 150 जिप्सी वाहनों को परमिट जारी किए गए हैं। पहले दिन करीब 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पद्मशेष भगवान के दर्शन किए। अस्थाई बस स्टैंड पचमढ़ी में स्थापित किए गए हैं। कोर एरिया के अंदर मेला क्षेत्र में 12 अस्थाई स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। 700 से ज्यादा पुलिस जवान 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किए गए हैं।

Created On :   21 July 2025 1:12 PM IST

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