नहीं थम रहा कमीशन का खेल, जिला अस्पताल में सक्रिय एजेंट, निजी अस्पतालों में भेज रहे मरीज

नहीं थम रहा कमीशन का खेल, जिला अस्पताल में सक्रिय एजेंट, निजी अस्पतालों में भेज रहे मरीज
  • एक हजार रुपए नकद लेकर बिल पर दस प्रतिशत तक मिल रहा कमीशन
  • जिला अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में भेजे जा रहे मरीज
  • एजेंट निशुल्क इलाज का हवाला देकर कराते हैं शिफ्ट

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल परिसर में निजी अस्पतालों के एजेंट सक्रिय है। एम्बुलेंस चालक, ऑटो चालक के साथ-साथ ठेका कर्मचारी कमीशन के इस खेल में शामिल है। मरीज के परिजनों को सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज न मिलने और आयुष्मान कार्ड के माध्यम से निशुल्क इलाज का हवाला देकर पेशेंट को निजी अस्पतालों में शिफ्ट कराया जा रहा है। इसके एवज में एजेंट को निजी अस्पतालों से एक हजार रुपए से लेकर ढाई हजार रुपए तक नकद या बिल पर दस प्रतिशत दिया जाता है।

अस्पताल सूत्रों की माने तो वार्ड में काम कर रहे ठेका कर्मचारी सीधे मरीज के परिजनों के संपर्क में रहते हैं। गंभीर मरीजों के परिजनों को बहला-फुसलाकर निजी अस्पताल में शिफ्ट कराने राजी कर लेते हैं। खासकर रात के वक्त अस्पताल पहुंचने वाले गंभीर मरीजों के परिजनों को गुमराह किया जाता है। पहले से मानसिक तनाव से गुजर रहे परिजनों को रात के वक्त अस्पताल में इलाज न होने की झूठी कहानी सुनाकर उन्हें निजी अस्पताल में भेजा जाता है।

निशुल्क इलाज का हवाला देकर कराते है शिफ्ट

जिला अस्पताल में सक्रिय एजेंट आयुष्मान कार्ड में निशुल्क इलाज का हवाला देकर मरीज को निजी अस्पतालों मेंं शिफ्ट कराया जाता है। सडक़ हादसे में घायल या किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीज को आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क इलाज मिलता है, लेकिन मरीजों को दवा का बिल भुगतान करना पड़ता है।

अस्पताल प्रबंधन को शिकायत का इंतजार

जिला अस्पताल में चल रहे गोरखधंधे पर अंकुश कसने प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई। हमेशा की तरह प्रबंधन को लिखित शिकायत का इंतजार है, जबकि निजी अस्पतालों के एजेंट सुबह से देर रात तक इमरजेंसी यूनिट से लेकर वार्ड तक सक्रिय रहते है। इस संबंध में चर्चा के लिए सिविल सर्जन डॉ.एमके सोनिया से संपर्क किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।

Created On :   6 Aug 2023 2:51 PM GMT

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