छिंदवाड़ा: बाघिन सुपर मॉम, शावकों को तीन माह तक सुरक्षा के लिए चट्टानों में छुपाती, फिर सिखाती शिकार करना

बाघिन सुपर मॉम, शावकों को तीन माह तक सुरक्षा के लिए चट्टानों में छुपाती, फिर सिखाती शिकार करना
  • बाघिन सुपर मॉम, शावकों को तीन माह तक सुरक्षा के लिए चट्टानों में छुपाती, फिर सिखाती शिकार करना
  • मुंह का निवाला खिलाकर नन्हें शावकों पालती है बाघिन, दो साल की उम्र होने तक अपने साथ रखती

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। बाघिन अपने बच्चों को तकरीबन दो साल तक शिकार करने से लेकर उन्हें इतना एक्सपर्ट कर देती है कि वह जंगलों में अकेले शिकार करने लगे। बाघिन अपने शावकों को जन्म देेने से लेकर दो साल तक इनका पालन पोषण करती है और उन्हें शिकार कर खुद अपने भोजन की व्यवस्था करना भी सिखाती है। अपने बच्चों के खुद शिकार करना सीखने के बाद यानी बाघ का रूप लेने के बाद वह निश्चिंत महसूस करती है जब उन्हें अपने से अलग कर देती है। बाघिन जन्म के पहले तीन माह दूध पिलाती है इसके बाद भोजन खिलाना सिखाती है। भोजन की शुरुआत अपने मुंह के चबाए हुए निवाले से करती है। फिर खुद शिकार कर उसे शावकों के बीच छोड़ देती है तांकि शावक भी शिकार करना सीखें। शावकों के एक साल का होने के बाद वह उन्हें शिकार की ट्रेनिंग देती है। नन्हें शावकों के दो साल के होने तक बाघिन अपनी पूरी ममता उन पर न्यौछावर कर देती है।

पेंच पार्क की शान बनी कॉलर वाली बाघिन

पेंच नेशनल पार्क में ममत्व का बड़ा उदाहरण कॉलर वाली बाघिन बनी। 29 शावकों को उक्त बाघिन ने न सिर्फ जन्म दिया बल्कि उनको पालकर अपने पैरों पर खड़ा किया। अब लंगड़ी बाघिन जिसे फॉरेस्ट ने टी.20बाघिन का नाम दिया है, अपने ममत्व के जरिए पेंच पार्क में पहचान बना रही है।

यह भी पढ़े -छिंदवाड़ा में बोलरो से रौंदे गए पुलिसकर्मी को शहीद का दर्जा, सीएम ने परिवार को एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया

कुछ ऐसा पालन करती बाघिन

- बाघिन दो साल तक अपने बच्चों को अपने पास में रखती है। यदि बच्चा ठीक है और अनुकूल स्थिति में है तो डेढ़ साल की उम्र में भी वह अपने से अलग कर देती है। बाघिन से सामान्य तौर नर शावक की तुलना में मादा शावक अलग होते है। तीन से चार माह की उम्र के शावकों को पत्थरों चट्टानों की दरार में छिपाकर रखती है। वह उस स्थान को चिन्हित करती है कि बच्चों पर शिकारियों की नजर नहीं पड़े। तेंदुआ या अन्य कोई वन्यजीव उनके तक नहीं पहुंच सके। तीन माह तक बाघिन शावकों को दूध पिलाती है और इसके बाद अलग-अलग क्रम में भोजन और शिकार करना सिखाती है। पहले चरण में बाघिन जो शिकार करके आती है उसे मुंह से उगलती है। जिसे शावक खाते हैं। शावक के एक साल का हो जाने पर उसे शिकार करना सिखाती है। इसके लिए पहले बाघिन शिकार करने के बाद उसे शावकों के बीच छोड़ देती है। बाद में वन्यप्राणी का शिकार करने के बाद उसे जीवित अवस्था में छोड़ देती है जिसे शावक खाते हैं।

यह भी पढ़े -छिंदवाड़ा में पेट्रोल पंप से भाग रहे बदमाश ने बोलेरो से एएसआई को रौंदा, मौत

इनका कहना है

- बाघिन अपने शावकों को तकरीबन दो साल तक तैयार करती है जिसमें शिकार करना सिखाती है। इसके पहले कम उम्र में दूसरे प्राणियों से सुरक्षा के लिए पत्थरों की दरार या अन्य जगहों पर छुपाकर रखती है।

- रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच नेशनल टाइगर रिजर्व पार्क

यह भी पढ़े -छिंदवाड़ा में नाथ परिवार बना श्रीराम महोत्सव का हिस्सा, भाजपा ने ली चुटकी

Created On :   22 Jan 2024 5:33 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story