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बरसों से कर रहे थे मांग: आवागमन के लिए आदिवासियों ने श्रमदान से बनाया लकड़ी का पुल
डिजिटल डेस्क, भामरागड़ (गड़चिरोली)। गड़चिरोली जिले की भामरागड़ तहसील अतिदुर्गम, पिछड़े, आदिवासी बहुल और नक्सलग्रस्त क्षेत्र के रूप में परिचित है। यह तहसील प्रकृति के घने जंगलों, पहाड़ी, घाटियों और नदियों से घिरी हुई है। प्रकृति की कृपा के कारण इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष बारिश के समय बाढ़ की स्थिति निर्माण होती है। भामरागड़ तहसील बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। फिर भी इस क्षेत्र के विकास के लिए कोई भी पहल करने का प्रयास नहीं करता। हालांकि, सरकार ने नदियों से आवागमन करने में हो रही दिक्कतों को देखकर पुल मंजूर किया। लेकिन अभी तक पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। इस वजह से गुंडेनूर नदी के उस पार रहने वाले कुवाकोडी, दामनमर्का, फोदेवाड़ा, बिनागुंडा, पुंगासुर, पेरमलभट्टी और गुंडेनूर के आदिवासी बंधुओं ने इस नदी को पार करने के लिए अनोखा जुगाड़ करते हुए रविवार, 8 अक्टूबर को श्रमदान कर लकड़ियों से पुलिया का निर्माण किया जिससे अब इस क्षेत्र के आदिवासी बंधुओं को राहत मिली है। इससे पूर्व गुरुवार, 5 अक्टूबर को उफान पर बह रही गुंडेनूर नदी को पार कर कटिया पुंगाटी गांव से एक व्यक्ति का शव खटिया पर रखकर आदिवासी बंधु गुंडेनूर पहुंचे थे।
बता दें कि, भामरागड़ तहसील के लाहेरी ग्राम से महज 4 किमी दूरी पर गुंडेनूर नदी है। यह नदी 12 माह में बहती रहती है। इस नदी पर पुलिया निर्माण करने की मांग सरकार से निरंतर की गई। हाल ही में पुलिया भी मंजूर हुआ। लेकिन अभी तक पुलिया का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। इस कारण गुंडेनूर नदी के उस पार के लोगों को जान जोखिम डालकर नदी से आवागमन करना पड़ता है। इस क्षेत्र में सरकारी सेवा कर रहे कर्मचारी, शिक्षक, ग्रामसेवक, आंगनवाड़ी सेविका आदि भी बारिश के समय में गुंडेनूर नदी के दोनों तट पर रस्सी को पकड़ते हुए आवागमन करते हुए दिखाई देते हंै। आदिवासी बंधुओं ने बनाए लकड़ियों के पुलिया से दोपहिया और साइकिल से आवागमन करना आसान हो गया है जिससे अब बीमार नागरिकों को भी डाक्टरों के पास पहुंचाने के लिए यह लकड़ियों का पुल राहत पहुंचा सकता है। आदिवासी बंधुओं के इस कार्य की समूचे जिले में सराहना की जा रही है।
Created On :   12 Oct 2023 3:50 PM IST