उठी आवाज: खदान का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों को खदेड़ना बंद करें

खदान का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों को खदेड़ना बंद करें
प्रागतिक पार्टी के नेताओं ने उद्योग मंत्री को सौंपा ज्ञापन

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में पेसा कानून लागू होकर ग्रामसभाओं को वनाधिकार प्रदान किए गए हैं। बावजूद इसके बिना किसी अनुमति के जिलेभर में विभिन्न प्रकार के उद्योग प्रस्तावित किए जा रहे हैं। विस्थापित होने के डर और वन संपदा नष्ट होने के कारण ग्रामसभाओं के माध्यम से खदान विरोधी आंदोलन किया जा रहा है। लोकतांत्रिक पद्धति से किए जा रहे इन आंदोलनों को पुलिस का डर दिखाकर आंदोलनकर्ताओं को खदेड़ने का मामला जिले में हो रहा है। इसे तत्काल बंद करने की मांग प्रागतिक पक्ष के नेताओं ने राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत को सौंपे एक ज्ञापन से की है।

अपने ज्ञापन में प्रागतिक पक्ष के नेताओं ने बताया कि, दमकोंडवाही बचाव संघर्ष समिति की ओर से पिछले 250 दिनों से एटापल्ली तहसील के ग्राम तोड़गट्‌टा में श्रृंखलाबद्ध अनशन किया जा रहा है। इस बीच पुलिस बल ने गत 20 नवंबर को तोड़गट्‌टा आंदोलनकर्ताओं को हिरासत में लिया और आंदोलनकर्ताओं की अनेक झोपड़ियों को भी ध्वस्त कर दिया। ग्रामसभाओं के माध्यम से शांति के मार्ग से अपने संवैधानिक हक के लिए आंदोलन किये जा रहे हैं। लेकिन इन आंदोलनों को खदेड़ने का प्रयास हो रहा है। लौह खदानों का विरोध करने वालों के खिलाफ नक्सल समर्थक की भावना से भी कार्रवाई किये जाने का आरोप इस समय लगाया गया।

इसे तत्काल बंद करते हुए हिरासत में लिये गये आंदोलनकर्ताओं को तत्काल रिहा करने की मांग इस समय की गयी। प्रतिनिधिमंडल में भाकप के राज्य कार्यकारिणी सदस्य डा. महेश कोपुलवार, अखिल भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष रोहीदास राऊत, शेतकरी कामगार पक्ष के रामदास जराते, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अमोल मारकवार, राज बंसोड, प्रशांत मडावी, भाकप के जिला सचिव देवराव चवडे, कुनाल कोवे, विनोद मडावी, जिला परिषद के पूर्व सदस्य सैनू गोटा, पंस की पूर्व सदस्य शीला गोटा, जयश्री वेलदा, बाजीराव उसेंडी, अशोक खोब्रागडे, नरेंद्र रायपुरे, राजन बोरकर, कोत्तुराम पोटावी, सावजी उसेंडी, दशरथ पोटावी, प्रल्हाद रायपुरे, सचिन मोतकुरवार, सूरज जक्कुलवार, मंगेश होली आदि उपस्थित थे।

Created On :   25 Nov 2023 7:13 AM GMT

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