नहीं मिली एम्बुलेंस तो दोपहिया पर खटिया रखकर लाया शव

नहीं मिली एम्बुलेंस तो दोपहिया पर खटिया रखकर लाया शव
स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

डिजिटल डेस्क, भामरागड़ (गड़चिरोली) । केंद्र सरकार ने राज्य के आखिरी छोर पर बसे आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले का समावेश आकांक्षी जिलों की सूची में किया है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत जिले की स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए निधि खर्च की जाती है। बावजूद इसके आज भी जिले के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा पाने तरसना पड़ रहा है। जिसका जीता-जागता उदाहरण जिले के आखिरी छोर पर बसे भामरागड़ तहसील के दुर्गम कृष्णार में दिखाई दे रहा है। एक 23 वर्षीय युवक ने क्षयरोग से उपचार के दौरान जान गंवाने के बाद उसका शव घर तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिलने से युवक के शव को खटिया पर लादकर दोपहिया वाहन के जरिए घर ले जाना पड़ा। जिससे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हंै। प्राप्त जानकारी के अनुसार, भामरागड़ तहसील के दुर्गम क्षेत्र में बसे कृष्णार गांव निवासी 23 वर्षीय युवक गणेश क्षयरोग से ग्रस्त होकर उपचार के लिए 17 जुलाई को हेमलकसा स्थित अस्पताल में भर्ती किया गया। हालांकि मामला पांच दिन पुराना है परंतु सोमवार को उजागर हुआ। उपचार के दौरान 20 जुलाई को मृत्यु हो गई। किंतु युवक के शव को घर ले जाने के लिए समय पर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होने से उसे खटिया पर लादकर दोपहिया वाहन के जरिए घर ले जाना पड़ा।

बता दें कि, देश में क्षयरोग निर्मूलन के लिए विशेष मुहिम चलाया जाता है। इसके लिए प्रत्येक जिले में विशेष विभाग कार्यरत है। क्षयरोग की पुष्टि होने पर मरीज को समय पर दवा देने, स्वास्थ्य सेवक के माध्यम से देखरेख करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है। मात्र गड़चिरोली जिले के भामरागड़ तहसील के स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण कृष्णार गांव निवासी 23 वर्षीय क्षयरोग बीमारी से ग्रस्त आदिवासी युवक गणेश तेलामी को जान गंवानी पड़ी। इतना ही नहीं तो मृत्यु के पश्चात शव को घर ले जाने एम्बुलेंस नहीं मिलने से खटिया पर लादकर दोपहिया के जरिए ले जाना पड़ा। जिससे स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

Created On :   25 July 2023 10:41 AM GMT

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