गडचिरोली: केपीसीएल के खिलाफ महिलाओं ने शुरू की भूख हड़ताल, तीव्र आंदोलन की चेतावनी

केपीसीएल के खिलाफ महिलाओं ने शुरू की भूख हड़ताल, तीव्र आंदोलन की   चेतावनी
  • महिलाओं ने शुरू की भूख हड़ताल
  • केपीसीएल के खिलाफ महिलाओं का आंदोलन

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। केपीसीएल कंपनी से उचित मुआवजा, गांव के पुर्नवास, प्रकल्प पीड़ितों को नौकरी आदि मांगों के लिए भद्रावती तहसील के बरांज मोकासा की 10 महिलाओं ने रविवार से भूख हडताल शुरु की है। आज हडताल का दूसरा दिन है और महिलाओं ने आज पानी पीने से इंकार कर दिया है। इससे उनकी हालत खराब हो रही है। इसके बावजूद मांग पूरी न होने पर महिलाओं ने आंदोलन तीव्र करने की चेतावनी दी है। दो दिनों तक पानी में उतरकर माधुरी वाडी, माधुरी निकडे, पंचशील कांबले, पल्लवी कोर्डे, माया, सरस्वती मेश्राम, अनिता बेंदुर, माया कोई, मंजू कुरसंगे और रंजना शेलके जलसमाधि की चेतावनी देकर गहरे गड्ढे के किनारे में आंदोलन किया। किंतु कोई हल न निकलने की वजह से आंदोलनकारी महिलाओं रविवार से गड्ढे किनारे भूख हडताल शुरु की है। रविवार को एसडीओ मधुनंदा लडंगापुरे ने आंदोलनकारियों से मुलाकात कर समझाने का प्रयास किया किंतु कोई हल नहीं निकला है।

महिलाओं का आरोप है कि जमीन फेरफार के लिए कम से कम 21 दिन का समय लगता है। किंतु कंपनी को मात्र दो दिनों में जमीन का अधिकार कैसे दिया गया। जमीन अधिग्रहण के पूर्व पुर्नवास, मुआवजा और प्रकल्प पीड़ितों को नौकरी आदि का समझौता होने के बाद ही भूमि का अधिकार दिया जाता है। किंतु इन शर्तो को पूरा किए बिना ही कंपनी को भूमि पर अधिकार दे दिया गया और कंपनी कोयला उत्खनन और परिवहन शुरु कर दिया है। एसडीओ महानंदा ने 13 फरवरी को आंदोलनकारी महिला और कंपनी प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की। किंतु बैठक के लिए भेजे गए नोटिस में केपीसीएल की बजाय केपीसीटी लिखा था। इसलिए महिलाओं ने बैठक में उपस्थिति से इंकार कर दिया और नोटिस में सुधार करने का कहा। क्योंकि केपीसीटी कोई कंपनी नहीं है ताे बैठक किसके साथ होनी है।

संतोष पुनवटकर भी बेमियादी अनशन पर

संतोष पुनवटकर नामक प्रकल्प पीड़ित ने आरोप लगाया कि है कि केपीसीएल ने रात के समय पर उनकी जमीन पर कब्जा कर गड्ढा खोद दिया है। कंपनी ने मनमानी करते हुए नौकरी और मुआवजा देने से साफ इंकार कर दिया। कंपनी के जबरन गड्ढा खोदने की वजह से परिवार के कमाई का साधन छीन गया और भुखे मरने की नौबत आ गई है। इसलिए 30 जनवरी से अमरण अनशन पर है। इसके बावजूद उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

Created On :   13 Feb 2024 11:46 AM GMT

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