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Gondia News: सरकारी स्कूलों में 133 रुपए रोजी पर छात्रों को पढ़ा रहे स्वयं सेवक शिक्षक

Gondia News जिला परिषद की शालाओं का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसके लिए जिम्मेदार स्वयं शिक्षा विभाग ही है। जिन शालाओं में शिक्षकों के पद रिक्त हंै। वहां पर सुशिक्षित बेरोजगारों को स्वयंसेवक शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है। लेकिन उन्हें मात्र 4 हजार रुपए मानधन दिया जाता है। जबकि मनरेगा मजदूरों की मजदूरी 312 रुपए है।
4 हजार रुपए मानधन प्राप्त करने वाले स्वयंसेवक शिक्षकों को 133 रुपए रोज पर काम करना पड़ रहा है। जिसे देखते हुए कहा जा रहा है कि शिक्षा विभाग विद्यार्थियों के साथ उच्च शिक्षित सुशिक्षित बेरोजगार स्वयंसेवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यदि इसी तरह स्थिति बनी रही तो सरकारी स्कूलों को विद्यार्थियों के अभाव में ताले लग जाएंगे। बता दें कि जिला परिषद शालाएं भौतिक सुविधाओं के लिए तरस रही हैं। वहीं सैकडो़ं शिक्षकों के पद रिक्त हैं। समस्याओं के चलते विद्यार्थियों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है। अभिभावक अपने पाल्यों का भविष्य सुधारने के लिए अब सरकारी स्कूलों के बजाए निजी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं।
अभिभावकों का यह भी कहना है कि जिला परिषद स्कूलों को टिकाना है तो जितने भी शिक्षक कार्यरत है, उन्हें अपने पाल्यों को सरकारी स्कूलों में दाखिला देना चाहिए। लेकिन स्थिति कुछ अलग ही दिख रही है। जितने भी जिप में शिक्षक हैं, उनमें से 99 प्रतिशत शिक्षक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे है और जरूरतमंद व गरीब परिवार के बच्चों को जिप स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए घर-घर पहुंचकर जिप स्कूल अच्छी होने की बात बताई जा रही है। अब तो यह स्थिति आन पड़ी है कि जिला परिषद स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद पड़े होने से ग्रामों के ही उच्चशिक्षित बेरोजगारों को स्वयंसेवक शिक्षक के पद पर 4 हजार रुपए मानधन पर नियुक्ति दे रहे हैं। जितने भी स्वयंसेवक नियुक्त हुए हंै, उनमें से अधिकांश शिक्षक पात्रताधारक नहीं है। उच्च शिक्षित बेरोजगारों को शिक्षक के तौर पर नियुक्ति कर रहे है तो उन्हंे कम से कम श्रम कानून के तहत मानधन देना चाहिए।
Created On :   22 Nov 2025 5:25 PM IST















