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Jabalpur News: गजब का सौंदर्यीकरण, हरे-भरे पेड़ों को काटकर तालाब के पाथ-वे पर फिर पौधारोपण की तैयारी

- क्षेत्रीय नागरिकों ने कहा- पेड़ों को बचाकर बनाया जाए पाथ-वे
- नगर निगम द्वारा 2 करोड़ रुपए की लागत से अधारताल तालाब का गहरीकरण और सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है।
- तालाब के सौंदर्यीकरण के पहले बाउंड्रीवॉल का निर्माण किया जाना चाहिए।
Jabalpur News: पर्यावरण संरक्षण के प्रति नगर निगम के अधिकारी कितने लापरवाह हैं इसका उदाहरण अधारताल तालाब के किनारे पाथ-वे निर्माण में देखा जा सकता है। यहां पर पाथ-वे के निर्माण के लिए एक पेड़ को काटा जा चुका है और अभी 10 से 11 पेड़ और काटे जाने हैं। सभी पेड़ 10 साल पुराने हैं। क्षेत्रीय नागरिकों ने विरोध करते हुए कहा है कि पेड़ों को बचाकर पाथ-वे बनाया जाए।
नगर निगम द्वारा 2 करोड़ रुपए की लागत से अधारताल तालाब का गहरीकरण और सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है। यहां पर तालाब के गहरीकरण के साथ पाथ-वे निर्माण, फाउंटेन और लाइटिंग का काम किया जाना है। शुक्रवार को यहां पर 10 साल पुराना एक पेड़ काटा गया। जब क्षेत्रीय नागरिकों ने जानकारी ली तो पता चला कि पाथ-वे के रास्ते में आने वाले 10 से 11 पेड़ काटे जाएंगे। इसके बाद नागरिकों ने विरोध शुरू कर दिया।
एक्सपर्ट व्यू
एक पेड़ को तैयार करने में लगते हैं 10 साल
एक पेड़ को तैयार करने में 10 साल का समय लगता है। पेड़ों में भी जीवन होता है। ऐसे में यहां पर 10 साल पुराने पेड़ काटना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं। अधारताल तालाब के किनारे विकल्प मौजूद हैं। यहां पर पेड़ों के साथ में पाथ-वे बनाया जा सकता है। पेड़ों के साथ में पाथ-वे बनने से यहां पैदल चलने वालों को छाया भी मिलेगी।
-योगेश गनोरे, संस्थापक, कदम संस्था
पेड़ों को पाथ-वे के साथ समायोजित किया जाए
अधारताल तालाब के किनारे बन रहे पाथ-वे के साथ में पेड़ों को समायोजित करना चाहिए। इससे 10 साल पुराने पेड़ों को काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह काम आसानी से हो सकता है। देश के बड़े शहरों में पेड़ों को पाथ-वे के साथ समायोजित कर डिजाइन तैयार किया जाता है। नगर निगम के इंजीनियर्स को भी ऐसा डिजाइन तैयार करना चाहिए।
-तरुण आनंद, पूर्व अध्यक्ष इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स
बाउंड्रीवॉल के किनारे से बने पाथ-वे
क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि अधारताल तालाब के किनारे लगे पेड़ों को बचाया जाना चाहिए। क्षेत्र के राकेश श्रीवास्तव, अभिषेक पहारिया, राजकुमार रजक, नरेन्द्र करोलिया और हृदयेश सोनी का कहना है कि वर्तमान में बाउंड्रीवॉल से 15 फीट दूर पाथ-वे बनाया जा रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। यदि बाउंड्रीवॉल के किनारे से पाथ-वे बनाया जाए तो कई पेड़ कटने से बच जाएंगे।
अधारताल तालाब के किनारे पाथ-वे का निर्माण किया जा रहा है। यहां पर कुछ अनुपयोगी बबूल के पेड़ हैं। उद्यान विभाग की अनुमति लेकर अनुपयोगी पेड़ों को काटा जा रहा है।
-जागेन्द्र सिंह, सहायक यंत्री
बाउंड्रीवॉल हो गई तिरछी, नए सिरे से निर्माण जरूरी
लगभग 5 वर्ष पूर्व अधारताल तालाब के किनारे बाउंड्रीवॉल का निर्माण किया गया था। इस दौरान बाउंड्रीवॉल कई जगह से तिरछी हो गई, जो कभी भी गिर सकती है। इसके साथ ही यह कई जगह से टूट भी गई है। इसके कारण यहां जानवर घुस रहे हैं। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि तालाब के सौंदर्यीकरण के पहले बाउंड्रीवॉल का निर्माण किया जाना चाहिए।
Created On :   19 May 2025 7:01 PM IST