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Jabalpur News: भरोसे पर लाए मिट्टी की प्रतिमा, घर पर विसर्जन किया तो पीओपी की निकली

- भक्तों को धोखे में रखकर धड़ल्ले से बेची गईं पीओपी की गणेश प्रतिमाएं
- नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने नहीं कराई जांच
Jabalpur News: 10 दिनों तक भक्तिभाव के साथ हुई पूजा के बाद भगवान गणपति की विदाई का वक्त आया, तो कई भक्तों का चेहरा मायूस हो गया। बप्पा की जो प्रतिमा उन्हें मिट्टी की बताकर बेची गईं, वह पानी में घुली ही नहीं। ऐसा कई घरों में हुआ। पूरा परिवार जब बप्पा का विसर्जन बड़े ही भक्ति भाव और भावुकता के साथ कर रहा था, तब प्रतिमा पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की निकली।
प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी प्रतिमाओं के विक्रय पर पाबंदी है, लेकिन सरेआम शहर में जगह-जगह उन्हीं प्रतिमाओं को मिट्टी की बताकर धड़ल्ले से बेचा गया। पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि जिन विक्रेताओं ने प्रतिमाओं को मिट्टी की बताकर बेचा, उन्हें थोक व्यापारियों ने भी यही बताया कि प्रतिमा मिट्टी की है। वर्तमान स्थिति यह है कि शहर के कई परिवारों में पीओपी से बनी बप्पा की प्रतिमाएं विसर्जन होने के बाद भी रखी हुई हैं।
विसर्जन कुंडों में भी इस तरह के नजारे देखने मिल रहे हैं। प्रतिवर्ष यही स्थिति बन रही है लेकिन जब बाजार में प्रतिमाएं बेची जाती हैं, तब न तो नगर निगम और न ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड किसी तरह की जांच करता है, जबकि पहले ही जांच कराकर इनका विक्रय रोका जा सकता है।
क्या होगा पीओपी की प्रतिमाओं का
विसर्जन का दौर खत्म होने के बाद जब पीओपी की प्रतिमाएं पानी में घुल नहीं रही हैं, ऐसे में इन प्रतिमाओं का क्या होगा, यह बड़ा सवाल है। आस्था से जुड़ा मामला होने के कारण लोगों में रोष देखा जा रहा है। शहरवासियों का कहना है कि उनके साथ हुई धोखेबाजी के जिम्मेदार वे अधिकारी हैं, जिन्हें समय रहते जांच कर ऐसी प्रतिमाओं के विक्रय पर रोक लगानी थी।
फुटकर व्यापारी भी धोखे में बेच रहे पीओपी की प्रतिमा
कई लोगों ने शिकायत की है कि जब उन्होंने घर में बाल्टी, टब या गमले में गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया, तो उन्हें पता चला कि मूर्ति प्लास्टर ऑफ पेरिस की है जबकि प्रतिमा खरीदते वक्त उन्होंने दुकानदार से साफ कहा था कि मिट्टी की मूर्ति ही चाहिए। इधर सदर स्थित एक मूर्ति विक्रेता ने बताया कि उसने फुहारा बाजार में फुटकर और थोक मूर्ति विक्रय करने वाले व्यापारी से थोक में प्रतिमाएं खरीदी थीं। थोक व्यापारी ने मिट्टी की प्रतिमा बताकर ही मूर्ति क्रय की थी।
महाराष्ट्र में नियम, यहां नहीं
महाराष्ट्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्तियों पर लाल रंग का चिन्ह लगाना अनिवार्य कर दिया है। यह लाल निशान इस बात की पहचान है कि मूर्ति पीओपी से बनी है, ताकि प्रशासन और नागरिक इसे विसर्जन के दौरान अलग से पहचान सकें। लोगों का कहना है कि इस तरह का नियम प्रदेश में भी लागू होना चाहिए।
दूसरे शहरों से आती हैं प्रतिमाएं
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी केपी सोनी का कहना है कि कार्रवाई का अधिकारी नगर निगम और प्रशासन के पास है। बोर्ड का कार्य लोगों को जागरूक करने का है। पिछले 5 वर्षों में पीओपी की प्रतिमाओं में कमी आई है। क्षेत्रीय कलाकारों को मिट्टी की मूर्तियां बनाने के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन दूसरे शहरों से पीओपी प्रतिमाएं विक्रय के लिए आ जाती हैं। वहीं इस मामले में निगम की स्वास्थ्य अधिकारी अंकिता बर्मन का कहना है कि पीओपी से बनी प्रतिमाएं विसर्जन कुंड और नदी-तालाबों में न आएं, यह प्रयास विभाग द्वारा किया जाता है।
पिछले कई वर्षों से यह प्रयास किया जा रहा है कि लोग जागरूक हों और जागरूकता भी आई है। ऐसे लोग जो पीओपी से मूर्तियां बना रहे हैं, उन्हें चेतावनी दी जा रही है। पीओपी की प्रतिमाओं पर विशेष मार्किंग की जाए, इस सुझाव को स्थानीय स्तर पर लागू किया जा सकता है, ताकि विक्रय के वक्त पारदर्शिता बनी रहे और लोग उन प्रतिमाओं काे न खरीदें।
- दीपक सक्सेना, कलेक्टर, जबलपुर
गोकलपुर निवासी उमेश कुमार ने बताया कि कांचघर से प्रतिमा खरीदी थी। घर पर बड़े टब पर विसर्जन किया है, लेकिन दो दिन बाद भी प्रतिमा टब में ही रखी हुई है। दुकानदार ने मिट्टी की प्रतिमा बताकर प्रतिमा दी थी।
त्रिमूर्ति नगर निवासी प्रियांशु ने बताया कि उन्होंने तकरीबन सवा फीट ऊंची प्रतिमा सदर स्थित एक मूर्ति विक्रेता से खरीदी। उन्होंने प्रतिमा के मिट्टी के होने की बात भी विक्रेता से पूछी थी, लेकिन घर पर विसर्जन के बाद प्रतिमा पानी में घुली ही नहीं।
पीओपी से नुकसान
पीओपी से बनी मूर्तियां पानी में घुलती नहीं हैं, जिससे नदियों, झीलों और समुद्र में भारी प्रदूषण होता है।
मूर्ति में प्रयुक्त रसायन और रंग पानी को विषैला बनाते हैं, जिससे जलीय जीवों को नुकसान होता है।
Created On :   9 Sept 2025 6:16 PM IST