Jabalpur News: कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से भी पहले का है जमतरा ब्रिज नीलामी के पहले ऐतिहासिक पक्ष का भी नहीं रखा ध्यान

कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से भी पहले का है जमतरा ब्रिज नीलामी के पहले ऐतिहासिक पक्ष का भी नहीं रखा ध्यान
  • अनदेखी से नष्ट हो रही नैरोगेज ट्रेन की निशानी, लोगों ने कहा- बन सकता था बढ़िया पिकनिक स्पॉट
  • नैरोगेज ट्रेन के बंद होने के बाद जमतरा ब्रिज को उसके हाल पर लावारिस जैसा छोड़ दिया गया।
  • इस पुल के बंद होने से उन्हें शहर की ओर आने-जाने में आठ से 10 किलोमीटर का फेरा लगाना पड़ेगा।

Jabalpur News: खिरहनी-जमतरा का रेलवे ब्रिज कलकत्ता के हावड़ा ब्रिज से भी पुराना है। यह नैरोगेज के समय की ऐतिहासिक निशानी है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) ने इसे कबाड़ के भाव पर नीलाम कर दिया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। अभी पुल का फर्श काटा जा रहा है, जो शहरवासियों को विचलित कर रहा है। लोगों का कहना है कि इस ऐतिहासिक पुल से अभी भी खिरहनी के आसपास के कई गांवों के लोग पैदल या दो-पहिया वाहनों से सुविधाजनक तरीके से आवागमन करते थे।

स्कूली बच्चे भी इसी से आना-जाना करते थे। इस पुल के बंद होने से उन्हें शहर की ओर आने-जाने में आठ से 10 किलोमीटर का फेरा लगाना पड़ेगा। क्षेत्रीय ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों को हस्तक्षेप करके इस पुल को बचाना चाहिए। ऐतिहासिकता, पुराने समय की बेहतर इंजीनियरिंग और सुंदरता की वजह से यह दर्शनीय तो है ही, इस स्थान को पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।

1927 में हुआ था लोकार्पण

जानकारों का कहना है कि जमतरा ब्रिज बेहतर इंजीनियरिंग की मिसाल है। इसमें जिस स्टील का उपयोग किया गया है, उसमें आज तक जंग नहीं लगी। नर्मदा नदी पर बने जमतरा ब्रिज का लोकार्पण ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1927 में किया गया था। यह ब्रिज कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से भी पुराना है। हुगली नदी पर बने हावड़ा ब्रिज का लोकार्पण सन 1943 में हुआ था। मेंटेनेंस की वजह से हावड़ा ब्रिज अभी भी लोगाें के उपयोग में आ रहा है।

लोगों का कहना है नैरोगेज ट्रेन के बंद होने के बाद जमतरा ब्रिज को उसके हाल पर लावारिस जैसा छोड़ दिया गया। इसके बावजूद वह अभी खराब नहीं था। आसपास के ग्रामीण पैदल ही उससे आना-जाना कर रहे थे। बिलासपुर रेल जोन के अफसरों ने शहर की इस धरोहर को जर्जर मानकर कबाड़ के भाव नीलाम कर दिया।

अब 50 करोड़ में भी नहीं बन पाएगा ऐसा पुल

जानकार लोगों का कहना है कि जमतरा ब्रिज जैसा पुल आज के समय में 50 करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं बन पाएगा। थोड़ी सी मरम्मत आदि के बाद इसे और भी बेहतर बनाया जा सकता था, लेकिन किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति ने इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों का कहना है कि इसको काटकर नष्ट किए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। जनप्रतिनिधियों को इस मामले में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) के अधिकारियों के अलावा रेलमंत्री व अन्य जिम्मेदार अफसरों से बात करनी चाहिए। इससे ऐतिहासिक पुल बच सकता है।

कई गांव निर्भर, बचता था कई किलोमीटर का फेरा

खिरहनी निवासी अर्जुन बर्मन, शरद तिवारी, श्रीमती आशा बाई ने बताया कि यह पुल ग्रामीणों के आवागमन के लिए तो सुरक्षित और मजबूत है। इसके बंद होने के पहले तक खिरहनी के अलावा बढ़ैयाखेड़ा, समद पिपरिया, मोहास, बहोरीपार, नारायणपुर, नीमटोला समेत अन्य गांवों के लोग गौर व शहर की ओर आना-जाना करते थे।

नए पुल की बजाय जमतरा पुल से आने-जाने बच्चों व स्थानीय सब्जी विक्रेताओं को आठ से दस किलोमीटर तक का घेरा बच जाता था। इसकी थोड़ी बहुत मरम्मत करा देते तो इस पर वाहनों का भी आवागमन हो सकता था, मगर इसे कबाड़ियों के हवाले कर िदया गया। जनप्रतिनिधियों को हस्तक्षेप करके इस ऐतिहासिक व सुविधाजनक ब्रिज को बचाया जाना चाहिए।

Created On :   11 Jun 2025 12:58 PM IST

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