Jabalpur News: शिक्षकों से खाली हुए कॉलेजों में आधा सैकड़ा प्राध्यापकों के पद भरे जाएंगे

शिक्षकों से खाली हुए कॉलेजों में आधा सैकड़ा प्राध्यापकों के पद भरे जाएंगे
एमपीपीएससी देगा सूची इसके बाद अतिथि विद्वानों को भी मिलेगा मौका

Jabalpur News: उच्च शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों संभाग के आधा सैकड़ा प्राध्यापकों के डिप्लायमेंट को समाप्त कर दिया था। इसके बाद खाली हुए पदों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था जिससे बहुत से महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की संख्या बिल्कुल कम हो गई थी जिससे पढ़ाई ही नहीं हो पा रही थी। अब उच्च शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि जल्द ही एमपीपीएससी के जरिए कॉलेजों में प्राध्यापकों की तैनाती की जाएगी और इसके बाद भी यदि पद खाली रह जाते हैं तो अतिथि विद्वानों के जरिए पदों को भरा जाएगा।

बताया जाता है कि उच्च शिक्षा विभाग ने प्रधानमंत्री काॅलेज ऑफ एक्सीलेंस और स्वशासी काॅलेजों में भेजे गए प्राध्यापकों के डिप्लायमेंट को जब खत्म किया था, उसके बाद से ही इस बात का इंतजार किया जा रहा था कि नई नियुक्तियों पर विभाग क्या और कब करने वाला है। विगत दिवस इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने इशारा किया कि खाली हुए प्राध्यापकों के पदों को पहले एमपीपीएससी से चयनित होने वाले नवनियुक्त प्रोफेसरों से भरा जाएगा। फिलहाल एमपीपीएससी प्रोफेसर्स की नियुक्ति करने के लिए साक्षात्कार और दस्तावेजों के सत्यापन कार्य करने में लगा हुआ है। जानकारों का कहना है कि एमपीपीएससी जल्द ही नवनियुक्त प्रोफेसर्स की सूची शिक्षा विभाग को सौंपेगा, तब रिक्त हुए पदों पर नियुक्ति दी जाएगी।

एक प्राध्यापक के जिम्मे थे दो कॉलेज

रिडिप्लॉयमेंट के बाद एक ही प्राध्यापक को दो कॉलेजों की जिम्मेदारी दी गई थी। यह बात अलग है कि प्राध्यापक एक ही कॉलेज में रहते थे लेकिन उनका वेतन दूसरे कॉलेज से निकलता था। यही वजह थी कि जिस कॉलेज से वेतन निकलता था वहां अतिथि विद्वानों की नियुक्ति भी नहीं हो सकती थी। अब नव नियुक्त प्रोफेसर्स को नियुक्ति देने के बाद शेष रिक्त पदों को काॅलेज प्राचार्य द्वारा दिखाया जाएगा जिसके बाद विभाग उक्त रिक्त पदों पर अतिथि विद्वानों को नियुक्त करेगा।

चार कॉलेजों में नियुक्त हुए थे 51 प्राध्यापक

बताया जाता है कि रिडिप्लॉयमेंट के जरिए पीएम श्री महाकौशल महाविद्यालय, साइंस कॉलेज, होम साइंस और मानकुंवर बाई कॉलेज में कुल 51 प्राध्यापकों की तैनाती की गई थी। इससे इन कॉलेजों में तो कुछ ऐसे विषय भी थे जिनमें प्राध्यापकों की संख्या अधिक हो गई थी, वहीं गोटेगांव, कटनी और सिहोरा के कॉलेजों में प्राध्यापकों की बेहद कमी महसूस की जाने लगी थी लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा था। अब इन ग्रामीण क्षेत्रों के महाविद्यालयों को राहत मिलेगी।

Created On :   22 Oct 2025 6:49 PM IST

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