Jabalpur News: जबलपुर में बन सकती है प्रदेश की पहली लेपर्ड सफारी

जबलपुर में बन सकती है प्रदेश की पहली लेपर्ड सफारी
तेंदुए और इंसानों के बीच होती है सह अस्तित्व की संभावना

Jabalpur News: लेपर्ड स्टेट मध्य प्रदेश के जबलपुर में पहली लेपर्ड सफारी बनाए जाने की प्रबल संभावना है। दरअसल स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि तेंदुओं और इंसानों के बीच दूरी कम करते हुए साथ-साथ रहने के तरीके तलाशने में सफलता मिल सकती है। यानी तेंदुए और इंसानों के बीच सह अस्तित्व की संभावना है, जिसके चलते मध्य प्रदेश की पहली लेपर्ड सफारी जबलपुर में बनाए जाने की राह अब खुल रही है।

मध्यप्रदेश में हैं सबसे ज्यादा लेपर्ड

देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश को लेपर्ड स्टेट का खिताब इसलिए दिया गया है, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा तेंदुए रहते हैं। इनकी आबादी पर हर चार साल में जारी होने वाली केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट साल 2022 में जारी हुई थी, जिसमें मध्यप्रदेश में तेंदुओं की तादाद 3907 थी। प्रदेश में वर्ष 2019 में तेंदुओं की संख्या 3650, वर्ष 2020 में 3800 एवं वर्ष 2022 में तेंदुओं की संख्या 3907 हो गई है। जबलपुर के आबादी वाले क्षेत्र में 2022 की स्थिति में 17 तेंदुए दिखाई दे रहे हैं, जो बढ़कर अब अधिक हो गए हैं। जानकारों को कहना है कि यदि तेंदुआ सफारी बनती है तो इंसान और तेंदुए दोनों सुरक्षित हो सकते हैं।

तेंदुए सघन जंगलों से बाहर क्यों आ रहे हैं

शोध में यह बात भी सामने आई है कि तेंदुए बहुत शर्मीले होते हैं, जो इंसानों का शिकार नहीं करते। तेंदुओं की ओर से अभी तक आगे बढ़कर इंसानों पर हमले की घटनाएं भी दर्ज नहीं हैं। तेंदुए सघन जंगलों को छोड़कर बाहर इसलिए आ रहे हैं क्योंकि जंगल में उन्हें प्राकृतिक भोजन आसानी से नहीं मिल पा रहा है। बस्तियों के आसपास वे स्ट्रीट डॉग एवं छोटे जानवरों का शिकार आसानी से कर लेते हैं, उन्हें अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ता। तेंदुए आसान शिकार की तलाश में बस्तियों की तरफ आ रहे हैं। सफारी बनने से सुरक्षित स्थान पर उनके प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता होगी। इसके अलावा रहवासी क्षेत्रों में उनकी आवाजाही रुकेगी।

लोग चाहते हैं कि तेंदुआ सफारी बने

सर्वे में यह बात सामने आई है कि अधिकांश लोग चाहते हैं कि तेंदुआ सफारी बने। इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और आबादी वाले क्षेत्रों में तेंदुओं की आवाजाही कम होगी। राज्य वन अनुसंधान केंद्र के परियोजना अन्वेषक-वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध मजूमदार ने बताया इस सर्वे के लिए जबलपुर और इंदौर को चुना गया है, क्योंकि दोनों ही जिलों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदुए देखे जाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोग तेंदुओं को लेकर क्या सोचते हैं और क्या चाहते हैं। इसे जानने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) कार्यालय द्वारा राज्य वन अनुसंधान संस्थान को रैंडम सर्वे की जिम्मेदारी दी गई थी।

Created On :   22 Oct 2025 6:11 PM IST

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