Jabalpur News: बायोप्सी रिपोर्ट आने में 45 दिन तक का लग रहा समय, 400 तक पहुंची पेंडेंसी

बायोप्सी रिपोर्ट आने में 45 दिन तक का लग रहा समय, 400 तक पहुंची पेंडेंसी
  • मेडिकल कॉलेज में बढ़ी मरीजों की परेशानी, निजी कंपनी संचालित कर रही लैब
  • कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के मामले में तो बायोप्सी रिपोर्ट समय पर मिलना जरूरी हो जाता है

Jabalpur News: नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में हिस्टोपैथोलाॅजी (बायोप्सी) की जांच रिपोर्ट आने में 45 दिन तक लग रहे हैं, जिसके चलते मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। मरीजों का कहना है कि निजी कंपनी को पैथोलॉजी लैब का संचालन मिलने के बाद भी पुराने ढर्रे पर जांचें हो रही हैं, जबकि दावा यह किया गया था कि मरीजों को न सिर्फ गुणवत्ता पूर्व बल्कि समय पर जांच रिपोर्ट मिलेगी।

कॉलेज के बाहर निजी लैब में आमतौर पर 3 से 5 दिन में यह जांच हो जाती है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज में 30 से 45 दिन तक समय लगना, गंभीर प्रश्न खड़े करता है। समय पर रिपोर्ट न आने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के संभावित मरीज बार-बार चक्कर लगाते हैं। इसकी शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में भी की जा चुकी हैं, लेकिन संबंधित शिकायत का निपटारा कर मूल समस्या को छोड़ दिया जाता है।

कब होती है बायोप्सी

हिस्टोपैथोलॉजी (बायोप्सी) में किसी बीमारी का पता लगाने या निदान की पुष्टि करने के लिए रोगी के शरीर से लिए गए ऊतक के नमूने (बायोप्सी) की जांच की जाती है। इसमें एक पैथोलॉजिस्ट माइक्रोस्कोप के नीचे कोशिकाओं में होने वाले असामान्य बदलावों को देखता है, जो बीमारी का संकेत देते हैं। आमतौर पर कैंसर संदिग्ध मरीजों में यह जांच बीमारी का पता लगाने के लिए की जाती है।

निजी हाथों में लैब, फिर भी स्थिति नहीं बदली

मरीजों का कहना है कि 2 वर्ष पूर्व मेडिकल कॉलेज में एचएसीएल कंपनी को लैब संचालन का ठेका दिया गया, जिसके बाद स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के दो वार्ड भी दिए गए। उम्मीद थी कि पुराने ढर्रे पर चल रही मेडिकल कॉलेज की सेंट्रल लैब को नया कलेवर मिलने के बाद मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी, लेकिन अकेले बायोप्सी की जांच रिपोर्ट में 400 तक पेंडेंसी पहुंच गई है, जबकि इसके अलावा सैकड़ों जांचें और होती हैं। सिर्फ बायोप्सी के लिए रोज 10 से 15 सैंपल आते हैं। मोबाइल पर रिपोर्ट पहुंचने का दावा भी फेल होता दिख रहा है, क्योंकि कई मरीजों को मोबाइल पर रिपोर्ट नहीं मिलती।

बीमारी बढ़ने का खतरा

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के मामले में तो बायोप्सी रिपोर्ट समय पर मिलना जरूरी हो जाता है, ऐसा न होने पर बीमारी बढ़ने का खतरा बनने लगता है। दूर-दराज से आने वाले मरीज जैसे-तैसे सैंपल तो लैब में दे आते हैं, लेकिन रिपोर्ट आने तक मानसिक तनाव में भी रहते हैं। गरीब तबके के लोग निजी क्षेत्र में इस जांच का खर्च वहन नहीं कर पाते, ऐसे में वे मेडिकल कॉलेज पर ही निर्भर होते हैं।

हिस्टोपैथोलाॅजी की जांच में पेंडेंसी अधिक होने का मामला संज्ञान में आया है। मैन पॉवर में कमी के चलते ऐसा हो रहा है। विभागाध्यक्ष को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द पेंडेंसी कम कराई जाए।

-डॉ. नवनीत सक्सेना, डीन, एनएससीबी, मेडिकल कॉलेज

Created On :   20 Sept 2025 7:03 PM IST

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