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Jabalpur News: जबलपुर में विकसित तकनीक अफ्रीका पहुंची

- 100 रुपए से भी कम खर्च में स्तन कैंसर पीड़ित 25 महिलाओं का इलाज
- पारंपरिक बायोप्सी उपकरणों की लागत 3 हजार से 4 हजार रुपये, नाइजीरिया में कई पीड़ितों पर सफल इस्तेमाल
- जरूरी क्लीयरेंस मिलने के साथ ही प्रदेश और देश में भी इस तकनीक का उपयोग देखने मिल सकता है।
Jabalpur News: जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे बायोप्सी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण का खर्च 100 रुपए के भीतर आ गया है। खास बात यह है कि अफ्रीकी देश नाइजीरिया में इस टेक्नाेलॉजी का उपयोग स्तन कैंसर के ट्रीटमेंट में होने भी लगा है। दरअसल, बायोप्सी में लगने वाली गन की जगह चिकित्सकों ने दो सिरिंज को जोड़कर नए तरह की गन तैयार की है जिससे सैंपलिंग का खर्च बेहद सीमित हो गया है।
मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के अंतर्गत हाई वॉल्यूम स्तन कैंसर, थायराॅइड और एंडोक्राइन सर्जरी यूनिट में इस तकनीक पर क्लीनिक ट्रायल भी चल रहा है, जिसमें 10 से अधिक संस्थान शामिल हो रहे हैं। जरूरी क्लीयरेंस मिलने के साथ ही प्रदेश और देश में भी इस तकनीक का उपयोग देखने मिल सकता है।
नाइजीरिया तक ऐसे पहुंची हमारी टेक्नाेलॉजी
सवाल यह कि यह तकनीक अफ्रीकी देश नाइजीरिया तक कैसे पहुंची? लो कॉस्ट बायोप्सी तकनीक ईजाद करने वाले सर्जन डॉ. संजय कुमार यादव का रिसर्च पेपर वर्ल्ड जर्नल ऑफ सर्जरी में पब्लिश हुआ था, जिसके बाद नाइजीरिया के ओसुन स्टेट स्थित ओबाफेमी अवोलोवो यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. अकिनोला ओडेडेई ने इस रिसर्च के बारे में जानकारी हासिल की। बाद में डॉ. संजय से संपर्क किया। तकनीक को समझकर उन्होंने अपने अस्पताल में स्तन कैंसर से पीड़ित 25 महिलाओं की बायोप्सी की है।
ऐसे समझें अंतर पारंपरिक तकनीक
{ 3 से 4 हजार रुपए कॉस्ट की बायोप्सी गन का प्रयोग होता है।
{ यह एक ही बार प्रयोग की जा सकती है।
{ सैंपल के बाद जांच में भी अलग खर्च आता है।
न्यू टेक्नाेलॉजी
{ इसके लिए 2 सिरिंज को जोड़कर एक उपकरण बनाया गया है।
{ यह बायोप्सी गन की तरह सैंपल लेने में सक्षम है।
{ सिरिंज, गन की तुलना में कई गुना सस्ता विकल्प है।
यह सामान्य होने के साथ-साथ इफेक्टिव तकनीक है, जो कि अब अफ्रीका तक पहुंच गई है। यह हमारे संस्थान की सामूहिक शक्ति, सेवा की भावना और नवाचार में विश्वास की जीत है जो यह साबित करती है कि संसाधनों की कमी के बावजूद हम दुनिया को रास्ता दिखा सकते हैं।
-डॉ. नवनीत सक्सेना, अधिष्ठाता, मेडिकल कॉलेज जबलपुर
कम लागत में जांच
डॉ. यादव ने बताया कि लो-कॉस्ट बायोप्सी तकनीक ब्रेस्ट कैंसर की जांच और इलाज के क्षेत्र में क्रांतिकारी नवाचार है। जहां पारंपरिक बायोप्सी उपकरणों की लागत 3000 से 4000 रुपये होती है, वहीं यह तकनीक मात्र 100 रुपये से भी कम लागत में सटीक निदान संभव बनाती है, जिसका फायदा अब मध्य भारत ही नहीं अफ्रीका जैसे महाद्वीपों में गरीब मरीजों को मिल रहा है।
नाइजीरिया में कमजोर आर्थिक स्थिति वाली महिलाएं भी ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी यह जांच करा पा रही हैं। इस टीम वर्क में डीन डॉ. नवनीत सक्सेना, अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा, डॉ. धनंजय शर्मा, डॉ. पवन अग्रवाल, डॉ. दीप्तिबाला शर्मा, रेजिडेंट्स डॉक्टर्स सहित पैथोलॉजी, एनेस्थीसिया, रेडियोथैरेपी, रेडियोलॉजी, और एलाइड साइंसेज का सहयोग रहा।
Created On :   23 Jun 2025 6:45 PM IST