मुंबई: दशकों बाद भी मिल मजदूरों का नहीं पूरा हुआ अपने घर का सपना, अब नहीं भरोसा

दशकों बाद भी मिल मजदूरों का नहीं पूरा हुआ अपने घर का सपना, अब नहीं भरोसा
  • चुनाव से पहले सरकार के एक और वादे पर नहीं हो रहा भरोसा
  • दशकों बाद भी मुंबई के मिल मजदूरों का नहीं पूरा हुआ अपने घर का सपना
  • बिना घर मिले प्रक्रिया से बाहर हुए हजारों मजदूर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जमीन की बढ़ती कीमतों ने मायानगरी मुंबई में अपने घर का मिल मजदूरों का सपना पूरा नहीं होने देगी इसलिए सरकार ने अब मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में मिल मजदूरों के लिए घर देने का फैसला किया है। कई वर्षों से इंतजार कर परेशान हो चुके मिल मजदूरों के संगठन ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद सरकार दावा कर रही है कि वह अगले तीन वर्षों में बचे हुए 77 हजार से ज्यादा पात्र मिल मजदूरों को घर उपलब्ध करा देगी। बड़ी संख्या में ऐसे मिल मजदूर हैं जो आय के साधन खत्म होने के बाद पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर जैसे अपने पुश्तैनी घरों में लौट गए हैं। इन मजदूरों को उनके इलाकों में ही म्हाडा के जरिए घर उपलब्ध कराए जाएंगे लेकिन मिल मजदूर इसे लेकर असमंजस में हैं। शुरुआत में कोशिश थी कि मुंबई में ही मिल मजदूरों को घर उपलब्ध कराए जाएं लेकिन अब सरकार इससे हाथ खड़े कर चुकी है। मिल मजदूरों के घर के लिए अब ठाणे में 22 हेक्टेयर जमीन देने पर सरकार विचार कर रही है। दरअसल मुंबई में 58 बंद या मिलें हैं जिनमें 32 के मालिक निजी लोग हैं। 25 मिल राष्ट्रीय वस्त्रोद्योग महामंडल जबकि एक महाराष्ट्र राज्य उद्योग महामंडल की है। इनमें से ज्यादातर की जमीन का हिस्सा म्हाडा को नहीं मिल पाया है जिससे वह घरों का निर्माण शुरू ही नहीं कर पाई है।

फैसले में बदलाव से इसे लागू करना हुआ मुश्किल

पहले बंद बड़ी मिलों की 10 फीसदी जमीन पर घर बनाकर वहां काम करने वाले मजदूरों को देने का फैसला किया गया था लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया और मिल परिसर की खाली जमीन के 10 फीसदी हिस्से पर ही सरकार ने मिल मजदूरों के घर बनाने का फैसला किया। खाली जमीन बेहद कम थी ऐसे में वहां पौने दो लाख मिल मजदूरों के लिए वहां पर्याप्त घर नहीं बनाए जा सकते थे। इसीलिए जैसे जैसे इमारतें बनतीं गई लॉटरी के जरिए विजेताओं के फैसले होते रहे लेकिन अब भी बड़ी संख्या में ऐसे मजदूर बचे हुए हैं जिन्हें घर नहीं मिले हैं।

बिना घर मिले प्रक्रिया से बाहर हुए हजारों मजदूर

मिल मजदूरों को घर देने के ऐलान के बाद सरकार ने पहले जब आवेदन मंगाए तो 1 लाख 74 हजार से ज्यादा आवेदन आए लेकिन उस दौरान प्रक्रिया ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बाद सितंबर 2023 में दोबारा आवेदन मंगाए गए तो 1 लाख 10 हजार आवेदन आए। छानबीन के बाद सरकार ने इनमें से 92 हजार आवेदनों को पात्र करार दिया। इसके बाद अब तक इनमें से 15 हजार मिल मजदूरों को घर दिए जा चुके हैं। कई मिल मजदूरों का आरोप है कि नई आवेदन प्रक्रिया में खामियों के चलते हजारों मजदूर इसमें शामिल ही नहीं हो पाए।

चुनाव देखकर सरकार ने लिया फैसला-सचिन अहिर

राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ से जुड़े और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता सचिन अहिर ने कहा कि सरकार ने हाल ही में मिल मजदूरों को लेकर जो शासनादेश जारी किया है वह आधाअधूरा है और उससे हालात नहीं बदलेंगे। एमएमआर छोड़कर अब राज्य के दूसरे हिस्सों में भी मिल मजदूरों को घर देने की बात कही जा रही है यह हमें मंजूर नहीं है। साथ ही हमारी मांग है कि सरकार पूरी 110 हेक्टेयर जमीन मिल मजदूरों के घर बनाने के लिए उपलब्ध कराए। धारावी, मीठागर आदि के पुनर्विकास में सरकार के पास जो जमीन आएगी उसका इस्तेमाल मिल मजदूरों को घर देने के लिए किया जाना चाहिए। इसके अलावा मुंबई महानगर पालिका और दूसरे विभागों से इसके लिए पैसे जुटाने की योजना भी गलत है इससे यह काम कभी शुरु ही नहीं हो पाएगा। सरकार ने चुनावों को देखकर जल्दबाजी में जो फैसला किया है उससे कोई फायदा नहीं होने वाला।

Created On :   19 March 2024 4:07 PM GMT

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