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Mumbai News: क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा तलाक मामले में फेमिली कोर्ट का फैसला रद्द

- अदालत ने फेमिली कोर्ट को 20 मार्च तक तलाक की याचिका पर फैसला करने का दिया निर्देश
- दोनों गुजारा भत्ता पर सहमति की शर्तों का पालन करने पर सहमत
- फेमिली कोर्ट ने क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक के लिए वैधानिक कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ करने के अनुरोध को किया था अस्वीकार
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक के मामले में फेमिली कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। अदालत ने बांद्रा फेमिली कोर्ट को 20 मार्च तक तलाक की उनकी याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया है। दोनों गुजारा भत्ता पर सहमति की शर्तों का पालन करने पर सहमत हैं। फेमिली कोर्ट ने क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक के लिए वैधानिक कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने कहा कि चहल के वकीलों के इस बयान पर विचार करते हुए कि वह इंडियन प्रीमियर लीग की प्रतिबद्धताओं के कारण 21 मार्च से उपलब्ध नहीं होंगे। फेमिली कोर्ट को 20 मार्च को तलाक की कार्यवाही से निपटने का निर्देश दिया जाए। 5 फरवरी को फेमिली कोर्ट में आपसी सहमति के आधार पर तलाक की मांग की गई थी। हालांकि फेमिली कोर्ट ने 20 फरवरी को छह महीने की कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ करने से इनकार कर दिया था। ऐसा इस आधार पर किया गया था कि सहमति की शर्तों का केवल आंशिक पालन किया गया था, जिसके लिए चहल को धनश्री को 4 करोड़ 75 लाख रुपए का भुगतान करना था। उन्होंने 2 करोड़ 37 लाख रुपए का भुगतान किया है। फेमिली कोर्ट ने विवाह परामर्शदाता की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मध्यस्थता प्रयासों का केवल आंशिक अनुपालन किया गया था। इसके बाद चहल और धनश्री ने मुंबई में फेमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक संयुक्त याचिका दायर की।
तलाक के आदेश के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत छह महीने की समयावधि अनिवार्य है। निपटान और पुनर्मिलन की संभावनाओं को तलाशने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि प्रदान की जाती है। हालांकि इसे उन मामलों में माफ किया जा सकता है, जहां पक्षों के बीच विवाद के निपटारे की कोई गुंजाइश नहीं है।
पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि चहल और वर्मा ढाई साल से अलग रह रहे हैं और गुजारा भत्ता के भुगतान के संबंध में दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के दौरान सहमति की शर्तों का अनुपालन किया गया है, कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ कर दिया। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें कोई प्रतिवादी नहीं है, क्योंकि चहल और वर्मा ने संयुक्त रूप से याचिका दायर की है। पीठ ने कहा कि सहमति की शर्तों का पालन किया गया था, क्योंकि इसमें तलाक के आदेश के बाद ही स्थायी गुजारा भत्ता की दूसरी किस्त के भुगतान का प्रावधान था।
Created On :   19 March 2025 8:42 PM IST