हाईकोर्ट: सरकार को फटकार - विकलांगता अधिनियम के तहत हलफनामा दाखिल करने में नाकामी

सरकार को फटकार - विकलांगता अधिनियम के तहत हलफनामा दाखिल करने में नाकामी
  • विकलांग (दिव्यांग) व्यक्तियों के लिए फुटपाथ से बोलार्ड हटाने को लेकर सूमो (स्वत: संज्ञान) जनहित याचिका पर सुनवाई
  • 20 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई. राज्य सरकार शुक्रवार को विकलांगता अधिनियम के तहत राज्य सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने को लेकर हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने में नाकाम रही। अदालत ने इसको लेकर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार हाई कोर्ट के फैसले को लेकर गंभीर नहीं है। इस मामले में 2022 में याचिका दायर किया गया था। अदालत ने इस साल 11 जुलाई को सरकार को विकलांगता अधिनियम के तहत राज्य सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया था। आयुक्त द्वारा 27 जुलाई 2023 को सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति के प्रस्ताव पर एक वर्ष के बाद भी अमल नहीं किया गया। 20 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष स्वत: संज्ञान (सुमोटो) जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने पीठ को बताया कि सरकारी ने 13 अगस्त को विकलांगता अधिनियम के तहत राज्य सलाहकार बोर्ड में गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति करने के लेकर बैठक की। गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति के लेकर जो भी नाम आए हैं, उन नामों को सिलेक्ट किया जा रहा है। इस पीठ ने पूछा कि क्या सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को लेकर हलफनामा दाखिल किया गया है? इस पर सरकारी वकील ने हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय की मांग की, तो पीठ काफी नाराज हो गया। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अदालत के निर्देश पर अमल के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया है। पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को तलब किया और उन्हें 20 अगस्त को अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार राज्यों को विशेषज्ञों सहित पदेन और गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति कर बोर्ड का गठन करना आवश्यक है। बोर्ड का गठन पहली बार 27 फरवरी 2018 को किया गया था। 17 मार्च 2020 को गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति वापस ले ली गई थी। उसके बाद से उनकी नियुक्ति नहीं की गई हैं। मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) हलफनामा दाखिल कर शहर के फुटपाथों पर व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले दिव्यांगों के लिए दुर्गम बोलार्ड हटा दिए गए हैं।

Created On :   16 Aug 2024 9:51 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story