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गुरुपूर्णिमा विशेष : आरबीआई की नौकरी छोड़ गरीब बच्चों को शिक्षा देना बनाया मकसद
- कोई पढ़ाई पूरी करने को कर रहा प्रेरित
- कोई देता है मुफ्त ट्यूशन
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र. सोना कुमार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करती थीं, लेकिन समाज के लिए कुछ करने का जुनून ऐसा था कि उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। कुछ वर्षों तक समाज सेवा से जुड़े दूसरे काम करने के बाद उन्हें लगा कि गरीब बच्चों को शिक्षा देने से जुड़े काम में ही उन्हें ज्यादा संतोष मिलता है और उन्होंने इसे अपना मिशन बना लिया। 77 साल की सोना कुमार करीब दो दशक से मुंबई के जोगेश्वरी इलाके की आनंद नगर झुग्गी बस्ती में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देतीं हैं, इसके लिए एक इमारत में कमरा किराए पर लिया गया है।
ट्रस्ट के जरिए लोगों की मदद
कुमार ने बताया कि वे दूसरे शिक्षकों की मदद से नर्सरी से लेकर आठवीं तक के करीब 100 बच्चों को हर साल मुफ्त ट्यूशन पढ़ातीं हैं। यहां पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी होते हैं, जिनके अभिभावकों के पास उन्हें ट्यूशन पढ़ाने के पैसे नहीं होते। हिंदी, मराठी और अंग्रेजी तीनों माध्यमों के विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। सुबह और शाम को शिक्षक 4-4 घंटे विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। सोना सरोवर ट्रस्ट के जरिए कुमार लोगों की मदद करती हैं। कुमार ने बताया कि शिक्षकों की मदद से कई विद्यार्थियों खासकर लड़कियों की किस्मत बदली है और वे अच्छी जगहों पर नौकरी कर रहीं हैं और अपने पैरों पर खड़ी हैं। हालांकि वे इस बात से परेशान भी हैं कि कई परिवार लड़कियों को ज्यादा पढ़ने का मौका नहीं देते।
बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों को ढूंढकर नाइट स्कूल में दाखिला दिलाते प्रेमचंद मौर्या
मुंबई के कांदिवली इलाके में रहने वाले प्रेमचंद मौर्या अपना खाली समय उन लोगों को खोजने में जुटाते हैं, जो किसी वजह से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने को मजबूर हो गए। मौर्या ने बताया कि वे इलाके के उन बच्चों के पास जाते हैं, जो पंचर बनाने, किराना दुकानों में नौकरी जैसे काम करते हैं और उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित करते हैं। विद्यार्थियों को नाइट स्कूल में आठवीं से दसवीं कक्षा तक में योग्यता और आयु के मुताबिक दाखिला दिया जाता है। मालाड के एक निजी स्कूल में काम करने वाले मौर्या ने बताया कि मैं इन विद्यार्थियों को मुफ्त में पढ़ाता भी था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से यह संभव नहीं हो पा रहा है। लेकिन मौर्या जब भी किसी किशोर को काम करते देखते हैं, तो उससे संपर्क कर उसे पढ़ाई पूरी करने का आग्रह जरूर करते हैं। उन्होंने बताया कि आस-पास के गौतम नगर, लवगढ़, क्रांति नगर जैसी झुग्गी बस्तियों में कई बच्चे हैं, जिनकी उम्र तो पढ़ाई करने की है, लेकिन वे काम करने के लिए मजबूर हैं। उनकी पढ़ने की इच्छा भी हो, तो उन्हें पता नहीं होता कि काम के साथ पढ़ाई कैसे पूरी की जा सकती है। मौर्या सैकड़ों लोगों को पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। मौर्या ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद कई विद्यार्थियों का भविष्य बेहतर हुआ है।
जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त ट्यूशन पढ़ाते हैं अजय कुमार यादव
पालघर जिले के नालासोपारा इलाके में रहने वाले शिक्षक अजय कुमार यादव पेशे से शिक्षक हैं और अपने इसी हुनर को उन्होंने जरूरतमंदों का सहारा बनने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। पिछले 12 वर्षों से वे जरूरतमंद विद्यार्थियों को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाते हैं। यादव ने कहा कि इस पेशे में रहते हुए मुझे यह एहसास होता है कि भले ही शिक्षा मूलभूत अधिकार है, लेकिन यह इतनी मंहगी हो गई है कि गरीब परिवारों के विद्यार्थियों के लिए इसे हासिल करना बेहद मुश्किल है। यादव ने बताया कि साल 2010 से वे गरीब बच्चों को मुफ्त ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। खासतौर पर यहां मुफ्त शिक्षा के लिए उन बच्चों को चुना जाता है, जिनके सिर पर अभिभावकों का साया नहीं है। इस साल भी क्लास में करीब 50 बच्चे हैं।
Created On :   3 July 2023 2:15 AM IST