- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- कोचिंग संस्थानों पर लगाम नहीं कसी...
Mumbai News: कोचिंग संस्थानों पर लगाम नहीं कसी तो बर्बाद हो जाएगी शिक्षा व्यवस्था, सावंत ने जताई चिंता

- पूर्व मंत्री दीपक सावंत ने जताई चिंता
- कोचिंग संस्थानों पर लगाम की मांग
- नहीं कसी तो बर्बाद हो जाएगी शिक्षा व्यवस्था
Mumbai News. कोचिंग क्लासेस इंटीग्रेटेड कोर्स चला रहे हैं जहां विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा और ग्यारहवीं, बारहवीं की साथ में तैयारी करते हैं लेकिन यह पूरी शिक्षा व्यवस्था को बर्बादी की कगार पर ले जा रहा है इसलिए कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने की जरूरत है। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत ने शनिवार को शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा के लिए मुंबई में आयोजित 35वें राज्यस्तरीय शैक्षणिक अधिवेशन के दौरान यह बात कही। निजी स्कूलों के संगठन महाराष्ट्र राज्य शिक्षण संस्था महामंडल की ओर से इसका आयोजन किया गया था। डॉ सावंत ने कहा कि अगर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करना है तो स्कूलों और महाविद्यालयों को ही पढ़ाई की प्राथमिक जिम्मेदारी संभालनी होगी। कोचिंग की व्यवस्था सिर्फ पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों की मदद के लिए होनी चाहिए। डॉ सावंत ने कहा कि हैरानी की बात है कि ऐसी व्यवस्थाएं बन गईं हैं जिनमें विद्यार्थी शिक्षा संस्थानों में सिर्फ अटेंडेंस लगाने के लिए जाते हैं और पढ़ाई के लिए वे पूरी तरह कोचिंग क्लासेस पर निर्भर हो गए हैं। ऐसी ही स्थिति रही तो स्कूल, कॉलेज बंद करने की नौबत आ जाएगी। इस मौके पर सावंत ने बताया कि उन्होंने किस तरह राज्य के सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में मराठी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य बनाने के लिए मशक्कत की थी। साथ ही उन्होंने मांग की कि अल्पसंख्यक स्कूलों में भी मराठी की पढ़ाई अनिवार्य होनी चाहिए।
सरकार के सामने रखी 36 सूत्रीय मांगे
निजी स्कूलों में अधिवेशन के दौरान 36 मांगे मंजूर कर सरकार से उस पर कार्यवाही का आग्रह किया है। महामुंबई शिक्षण संस्था संगठन, मुंबई से जुड़े कमलेश प्रधान ने कहा कि निजी स्कूलों के प्रबंधकों को भ्रष्ट साबित कर उनसे नियुक्तियों का अधिकार छीनने की कोशिश हो रही है जबकि सरकारी महकमों में ज्यादा भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि पवित्र पोर्टल के जरिए सिर्फ भर्तियों को दिखावा हो रहा है वास्तव में भर्तियां नहीं हो पा रहीं हैं और बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। साथ ही उन्होंने दावा किया कि पवित्र पोर्टल से जुड़ा अध्यादेश जारी न होने के चलते इससे होने वाली भर्तियां ही अवैध हो गईं हैं। अधिवेशन में प्रति छात्र आरटीई के भुगतान की रकम कम होने और सीसीटीवी अनिवार्य किए जाने के चलते होने वाले खर्च और निजी स्कूलों से वसूले जाने वाले संपत्ति कर जैसे मुद्दे भी उठाए गए।
Created On :   1 March 2025 9:58 PM IST