ग्रामीण इलाकों की लड़कियों की इंजीनियरिंग में रुचि जगाने में आईआईटी बॉम्बे की पहल

ग्रामीण इलाकों की लड़कियों की इंजीनियरिंग में रुचि जगाने में आईआईटी बॉम्बे की पहल
  • अपने पैरों पर खड़े होने की चाहत पैदा हो
  • नौवीं विज्ञान की छात्राओं को संस्थान में लाकर किया जा रहा प्रेरित
  • इंजीनियरिंग में रुचि जगाने में आईआईटी बॉम्बे की पहल

डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। देश में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पुरुषों का ही बोलबाला है और कम ही छात्राएं इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहतीं हैं। लेकिन हालात बदलने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे ने पहल की है। इसके तहत ग्रामीण इलाके की कक्षा नौंवी की छात्राओं को आईआईटी बॉम्बे में लाकर उन्हें इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

वाइज कार्यक्रम शुरू किया

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राजेश जेले की अगुआई में इसके लिए वाइज (विमेन इन साइंस इंजीनियरिंग फ्रॉम रुरल पार्ट ऑफ इंडिया) नाम का कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रो. जेले ने बताया कि बीते सप्ताह महाराष्ट्र, बिहार और ओडिशा से 160 छात्राओं को 25 अध्यापिकाओं के साथ लाकर आईआईटी बॉम्बे के हॉस्टल में रखा गया। अध्यापिकाएं भी गणित और विज्ञान की ही थीं। चुनी गई छात्राओं में से महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के 34 जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाली थीं। हर विद्यालय की नौंवी कक्षा की चार छात्राओं को चुना गया था। राज्य की कुल 136 छात्राएं थीं, जबकि बाकी बिहार और उड़ीसा के नक्सल प्रभावित इलाकों की लड़कियों को इसके लिए चुना गया था।

अपने पैरों पर खड़े होने की चाहत पैदा हो

सुबह नौ बजे से शाम सात बजे तक ये लड़कियां अलग-अलग गतिविधियों में शामिल होतीं थीं। विज्ञान को समझने में और छात्राओं की रुचि बढ़ाने में आईआईटी बॉम्बे के 70 विद्यार्थी इनकी मदद कर रहे थे। हम लड़कियों को सिर्फ विज्ञान और तकनीक की जानकारी नहीं दे रहे थे, बल्कि चाहते थे कि उनमें खुद पर भरोसा बढ़े और अपने पैरों पर खड़े होने की चाहत पैदा हो।

‘बेहद यादगार रहा कार्यक्रम’

कार्यक्रम में शामिल हुईं लड़कियों में समीक्षा पाटील भी थीं। दावले गांव की रहने वाली और सांगली के जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाली समीक्षा ने कहा कि मैंने जो देखा, उससे मुझे बहुत प्रेरणा मिली है और विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हूं। एक सप्ताह के दौरान मैंने ड्रोन बनाकर उड़ाने से लेकर रोबोट बनाने तक कई चीजें सीखीं।

सफल महिलाओं ने भी किया मार्गदर्शन

विभिन्न क्षेत्रों में मुश्किल चुनौतियों को पार कर अपना मुकाम बनाने वाली महिलाओं ने भी इन छात्राओं से बातचीत की और उन्हें प्रेरित किया। सविता ढाकले ने लड़कियों को बताया कि किस तरह वह 10वीं में फेल होने के बाद और कम उम्र में शादी के बाद भी आज देश के करीब दस लाख किसानों का मार्गदर्शन कर रहीं हैं। स्नेहा कुलकर्णी ने बताया कि किस तरह वह एयरफोर्स की पायलट बनकर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली पहली महिला बनीं। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्र की महिलाओं ने छात्राओं को मुश्किल चुनौतियों से जूझते हुए आगे बढ़ने के गुर सिखाए।

टॉपर नहीं स्लो लर्नर चुने

इस कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने वाले और पुणे स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के असिस्टेंट कमिश्नर रवि लाड ने बताया कि हमने इस कार्यक्रम के लिए खास तौर पर उन छात्राओं को चुना, जो टॉपर नहीं थीं, बल्कि जिन्हें स्लो लर्नर (धीमा सीखने वाला) समझा जाता था। टॉपर अक्सर अपना करियर बना लेते हैं, लेकिन इन लड़कियों को उस तरह का प्रोत्साहन नहीं मिलता। अगर इनमें से एक भी लड़की प्रेरित होकर आईआईटी या एनआईटी तक पहुंच गई तो हम कार्यक्रम को सफल मानेंगे। जो छात्राएं इस कार्यक्रम में शामिल हुईं हैं, उन्हें आईआईटी बॉम्बे आगे भी मार्गदर्शन देगा। इसके लिए छात्रों को मेंटर बनाकर इन लड़कियों से जोड़ा गया है, जो इनके संपर्क में रहेंगे।

Created On :   31 May 2023 4:29 PM GMT

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