सुप्रीम कोर्ट: महाराष्ट्र के जय शिवराय किसान संगठन ने गन्ने की एफआरपी बढ़ाने को दी चुनौती

महाराष्ट्र के जय शिवराय किसान संगठन ने गन्ने की एफआरपी बढ़ाने को दी चुनौती
  • गन्ने की एफआरपी बढ़ाए जाने को दी चुनौती
  • जय शिवराय किसान संगठन पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत कई मांगों को लेकर किसान आंदोलित होने के बीच मंगलवार को गन्ना उत्पादक किसानों का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। महाराष्ट्र के जय शिवराय किसान संगठन ने सरकार द्वारा गन्ने की एफआरपी बढ़ाए जाने के खिलाफ एक याचिका दायर की है

महाराष्ट्र का जय शिवराय किसान संगठन पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

एडवोकेट अल्पना शर्मा द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि गन्ने का रिकवरी बेस बदलने से एक टन के पीछे किसानों को 1600 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसलिए गन्ने का एफआरपी 8.50 प्रतिशत ही रखा जाना चाहिए। चीनी के कुल उत्पादन में से लगभग 20 प्रतिशत ही घरेलू उपयोग होता है, जबकि औद्योगिक कार्यों सहित मिठाई, मेडिकल, केमिकल आदि व्यवसाय में 80 प्रतिशत इस्तेमाल होता है।

गन्ने की एफआरपी बढ़ाए जाने को दी चुनौती

इसलिए इन दोनों का दाम अलग-अलग तय किया जाए। इसके अलावा बढे उत्पादन खर्च को ध्यान में रखते हुए परिवार चरितार्थ खर्च को शामिल कर गन्ना सहित सभी फसलों का दाम तय करने बाबत केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को निर्देश देने की गुहार लगाई है।

साईबाबा को बरी करने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच द्वारा मंगलवार को नक्सलियों से कथित संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा और अन्य पांच को बरी करने के कुछ ही घंटों बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर तत्काल रोक लगाने और उचित आदेश जारी करने की मांग की है।

साईबाबा को मार्च 2017 में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम,1967 के तहत और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 14 अक्टूबर 2022 को यूएपीए के तहत लगाई गई धाराओं को साबित न कर पाने के कारण सभी आरोपियों के ऊपर लगे आरोपों को रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

जस्टिस एमआर शाह और बेला एम त्रिवेदी ने 15 अक्टूबर 2022, शनिवार को एक विशेष बैठक की और हाईकोर्ट के फैसले को निलंबित कर दिया। यह आदेश महाराष्ट्र सरकार की दलील के बाद पारित किया गया था कि मंजूरी देने में विफलता के कारण आईपीसी की धारा 465 के मद्देनजर बरी नहीं किया जा सकता है। इसके बाद लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने 19 अप्रैल 2023 को सुनवाई के दौरान साईबाबा समेत पांच को बरी करने के नागपुर बेंच के आदेश को रद्द दिया और हुए कोर्ट को मामले का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश दिया।

Created On :   5 March 2024 9:10 PM IST

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