Mumbai News: अजित ने कहा - विधायक अधिकारियों से न उलझें, दर्जन अधिकारियों को मंत्रालय में नहीं रखना चाहते सीएम

अजित ने कहा - विधायक अधिकारियों से न उलझें, दर्जन अधिकारियों को मंत्रालय में नहीं रखना चाहते सीएम
  • विधायकों के साथ हुई बैठक में बोले पार्टी प्रमुख
  • करीब एक दर्जन अधिकारियों को मंत्रालय में नहीं रखना चाहते हैं मुख्यमंत्री फडणवीस

Mumbai News. राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा (अजित) प्रमुख अजित पवार ने अपने सभी विधायकों को निर्देश दिए हैं कि अगर किसी भी कार्य को लेकर उनके विधानसभा क्षेत्र में कोई भी अड़चन आती है तो सीधे उनसे संपर्क किया जाए। अजित ने अपने विधायकों और नेताओं से अधिकारियों से उलझने से भी बचने को कहा है। अजित पवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह आदेश उन्होंने सभी विधायकों को दिए। दरअसल इसके पीछे की वजह पार्टी की छवि खराब होने से बचाने की है। राकांपा (अजित) प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि कई मौकों पर ऐसा देखा गया है कि स्थानीय विधायक अपने क्षेत्र में किसी विकास कार्य को लेकर अधिकारियों से उलझ जाते हैं। इसके अलावा अधिकारी काम करने में भी ना नुकर करते हैं। जिसकी बहुत सी शिकायतें पार्टी को मिली हैं। इसी से बचने के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने सभी विधायकों को निर्देश देते हुए कहा है कि अगर विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में किसी भी कार्य को लेकर कोई परेशानी आती है, तो सीधे उनसे संपर्क किया जाए। तटकरे ने कहा कि ऐसा करने से विकास कार्यों को न केवल गति मिल सकेगी बल्कि अधिकारियों से उलझने से भी बचा जा सकेगा।

करीब एक दर्जन अधिकारियों को मंत्रालय में नहीं रखना चाहते हैं मुख्यमंत्री फडणवीस

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शपथ लेने के डेढ़ महीने बाद भी मंत्रियों को अभी तक उनका पूरा स्टाफ नहीं मिल पाया है। दरअसल इसके पीछे की वजह अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से हरी झंडी नहीं मिलना बताई जा रही है। जिसकी वजह से अभी भी कई मंत्री अपने निजी सचिव, विशेष कार्य अधिकारी और निजी सहायक नियुक्त नहीं कर सके हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मंत्रियों ने सामान्य प्रशासन विभाग को जिन कर्मचारियों के नाम अपने-अपने विभागों में लेने के लिए भेजे हैं, उन्हें मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय मंत्रियों के निजी सहायक और अधिकारियों की नियुक्ति में इसलिए दखल दे रहा है, क्योंकि ऐसे करीब एक दर्जन अधिकारियों को मुख्यमंत्री फडणवीस मंत्रालय में नहीं देखना चाहते हैं। हालांकि मंत्रियों के स्टाफ की नियुक्ति नहीं होने के चलते उनके विभागों के कार्य भी पिछड़ते जा रहे हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'दैनिक भास्कर' को बताया कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य गड़बड़ी की शिकायतें मिली थी, लेकिन उस समय ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। हालांकि उस समय इसकी जानकारी तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को थी। इसके बाद अब मुख्यमंत्री बनने के बाद फडणवीस ने ऐसे एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों को मंत्रालय में नहीं रखने का फैसला किया है। ऐसे अधिकारियों के नाम सार्वजनिक नहीं ही किए गए हैं, लेकिन उनकी सूची मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के पास है। सूत्रों का कहना है कि जिन मंत्रियों के स्टाफ रखने पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है वे शिंदे और अजित गुट के हैं। जबकि भाजपा के ज्यादातर मंत्रियों के स्टाफ को हरी झंडी मिल चुकी है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दरअसल फडणवीस नहीं चाहते हैं कि उनकी कैबिनेट के सहयोगी के कार्यालय में किसी दागी अधिकारी की नियुक्ति हो। इसके अलावा ऐसे अधिकारी भी नियुक्त न हो सकें जिनके विपक्ष के नेताओं के साथ संबंध जग जाहिर हैं। यही कारण है कि ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति करने से पहले उनका ट्रैक रिकार्ड खंगाला जा रहा है। शिंदे गुट के एक मंत्री ने बताया कि लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा का समय सरकार के गठन को हो गया है, लेकिन अभी तक उनके कार्यालय में अधिकारियों समेत कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिसका असर कामकाज पर पड़ रहा है।

मंत्री के कार्यालय में हो सकते हैं 16 लोग नियुक्त

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार एक मंत्री के कार्यालय में सिर्फ 16 लोगों को नियुक्त किया जा सकता है। जिसमें एक निजी सचिव, तीन विशेष कार्य अधिकारी, दो टाइपिस्ट सह क्लर्क, 6 कार्यालय सहायक, एक ड्राइवर और चपरासी शामिल हैं।

Created On :   29 Jan 2025 8:43 PM IST

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