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बॉम्बे हाई कोर्ट: अदालत ने राज्य सरकार की गार्डन के लिए आरक्षित भूमि से अवैध अतिक्रमण हटाने का दिया आदेश

- सरकारी भूमिका संरक्षण करना जिला कलेक्टर का कर्तव्य
- कलेक्टर और बीएमसी को अवैध अतिक्रमण हटाकर गार्डन की भूमि अपने अधिकार में लेने का दिया निर्देश
- अदालत ने राज्य सरकार की गार्डन के लिए आरक्षित भूमि से अवैध अतिक्रमण को हटाने का दिया आदेश
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की गार्डन के लिए आरक्षित भूमि से अवैध अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि सरकारी भूमिका संरक्षण करना जिला कलेक्टर का कर्तव्य है। कलेक्टर का यह कर्तव्य है कि वह जहां भी और जब भी आवश्यक हो, उसकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए। इस मामले में यह स्पष्ट है कि कलेक्टर और उनके अधीनस्थ अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। अदालत 17 अप्रैल 2024 के आदेश बावजूद आज तक कलेक्टर ने यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है कि सरकारी भूखंड अतिक्रमण से मुक्त हो। अदालत ने कलेक्टर और मुंबई महानगरपालिका(बीएमसी)को अवैध अतिक्रमण हटाकर गार्डन की भूमि अपने अधिकार में लेने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश डी. पाटिल की पीठ ने वॉयस अगेंस्ट इललीगल एक्टिविटीज की जनहित याचिका (पाआईएल) पर अपने फैसले में कहा कि संबंधित भूमि गार्डन के लिए आरक्षित है। उस भूमि पर विभिन्न प्रकार की अवैध निर्माण के गए हैं, जिससे यह मामला और जटिल हो गया है। अदालत ने यह टिप्पणी की थी कि कलेक्टर कार्यालय की ओर से लापरवाहीपूर्ण आचरण को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। याचिका में उपस्थित अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित कलेक्टर कार्यालय द्वारा उठाए जाने वाले कदमों को रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए एक हलफनामा दायर करने का समय मांगा था।
अदालत ने 17 अप्रैल 2024 के अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि कलेक्टर अंतरिम आवेदन के प्रार्थना खंड (ए) के अनुसार विषयगत भूखंड का निरीक्षण करें और निरीक्षण के आधार पर रिपोर्ट तैयार न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की करें। यह निरीक्षण आदेश की तिथि से आठ सप्ताह के भीतर 17 अप्रैल 2024 से किया जाना था। उस आदेश की एक प्रति महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को भेजी जानी थी। उन्हें पूरे राज्य के जिला कलेक्टरों को राज्य की भूमि की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय करने हेतु उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया था।
पीठ ने अपने अदेश में कहा कि कलेक्टर और बीएमसी अधिकारियों को उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा। अदालत को सरकारी अधिकारियों द्वारा 13.40 वर्ग मीटर की शेष भूमि बीएमसी को सौंपने के संबंध में सूचित करना, बीएमसी के अधिकारियों द्वारा संबंधित भूमि की सुरक्षा के लिए टिन की चादर की एक अस्थायी दीवार का निर्माण और उस भूखंड पर एक गार्डन विकसित करने के लिए कदम उठाना होगा। यह सरकारी भूखंड गार्डन के लिए ही आरक्षित है।
मुंबई के कांदिवली में सीटीएस संख्या 1172 वाला सरकारी भूखंड 1991 और 2034 की विकास योजना में गार्डन के रूप में आरक्षित है, जिस पर अनधिकृत निर्माण किया गया है। हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अवैध निर्माण रको ध्वस्त कर उस पर गार्डन बनाने का अनुरोध किया गया था।
Created On :   29 Oct 2025 9:42 PM IST












