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Mumbai News: अदालत ने कल्याण में भारतीय सेना की भूमि पर अवैध निर्माण को लेकर सख्त रूप अपनाया

- अदालत ने सेना से पूछा-जब निर्माण कार्य चल रहा है, तो आप क्या कर रहे हैं?
- अदालत ने कलेक्टर को केडीएमसी आयुक्त द्वारा बिल्डर को दी गई निर्माण की अनुमति के संबंध में उचित कार्रवाई का दिया निर्देश
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कल्याण में रक्षा मंत्रालय की भूमि पर अवैध इमारतों के निर्माण को लेकर सख्त रूप अपनाया है। अदालत ने रक्षा मंत्रालय से पूछा कि जब निर्माण कार्य चल रहा है, तो आप क्या कर रहे हैं? अदालत ने ठाणे के कलेक्टर अवैध इमारतों की भूमि की प्रकृति के विषय में विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया है। कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका (केडीएमसी) ने रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहित भूमि पर बिल्डर को 25 इमारतों के निर्माण की अनुमति दी है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्निक की पीठ ने राजेंद्रनाथ पारसनाथ पांडे की ओर से वकील एकनाथ आर. ढोकले की दायर जनहित याचिका पर कहा कि रक्षा मंत्रालय द्वारा अपनाए गए रुख के मद्देनजर हमारी राय में इस मामले में भूमि की प्रकृति के अनुसार विस्तृत जांच की आवश्यकता है। याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ बिल्डर, केडीएमसी के आयुक्त 8 मई को सुबह 11 बजे ठाणे कलेक्टर के समक्ष उपस्थित हो। वे कलेक्टर के समक्ष पक्षकारों को अपने-अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज दाखिल करने की स्वतंत्रता होगी। कलेक्टर विस्तृत जांच करेंगे और सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देंगे। इसके बाद वह भूमि की प्रकृति का निर्धारण करेंगे।
पीठ ने कहा कि ठाणे के कलेक्टर और केडीएमसी आयुक्त बिल्डर के पक्ष में भवन निर्माण की अनुमति देने के संबंध में उचित कार्रवाई करेंगे। यह चार महीने की अवधि के भीतर पूरा किया जाएगा। कलेक्टर और आयुक्त द्वारा कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है, तो पीड़ित पक्ष कानून में उपलब्ध उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र है।
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि कल्याण के पिसावली गांव में रक्षा मंत्रालय की है। कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका (केडीएमसी) ने बिल्डर को रक्षा मंत्रालय से संबंधित विषय भूमि पर बहुमंजिला इमारत बनाने की अनुमति दी है। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में केडीएमसी में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में रक्षा मंत्रालय की भूमि पर चल रहे निर्माण को रोकने और केडीएमसी को निर्माण के लिए अनुमति जारी करने से संबंधित मामले की जांच करने के लिए पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने का निर्देश देने की अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील अहमद आब्दी ने रक्षा मंत्रालय की ओर से दायर जवाबी हलफनामे की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट रुख अपनाया है कि जिस भूमि पर इमारत बनी हैं। वह भूमि उनकी है। केडीएमसी ने बिल्डर को इमारत के निर्माण की अनुमति देने में गलती की है। केडीएमसी के वकील ने कहा कि विषयगत भूमि का पहले अधिग्रहण किया गया था और उसके बाद उसे भारत रक्षा अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिग्रहित किया गया और मालिकों को मुआवजा दिया गया। बिल्डर को भूमि पर निर्माण करने का कोई अधिकार नहीं है।
केडीएमसी के वकील ने कहा कि केडीएमसी आयुक्त ने राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर निर्माण की अनुमति दी, क्योंकि राजस्व रिकॉर्ड में भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इस भूमि को रक्षा भूमि नहीं दिखाया गया। मामले में आगे की जांच की आवश्यकता है। केडीएमसी आयुक्त न्यायालय के निर्देशों का पालन करने को तैयार हैं।
Created On :   24 April 2025 9:39 PM IST