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Mumbai News: चहल और धनश्री के बीच तलाक स्वीकार, नायर अस्पताल मामले की भी सुनवाई

- क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और टीवी अभिनेत्री धनश्री वर्मा के बीच तलाक को फेमिली कोर्ट किया स्वीकार
- तड़वी मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में दी चुनौती
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद फैमिली कोर्ट ने क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और टीवी अभिनेत्री धनश्री वर्मा के बीच तलाक को स्वीकार कर लिया है। अब दोनों कानूनी रूप से अलग हो गए हैं। दोनों अपने तलाक को अंतिम रूप देने के लिए अलग-अलग बांद्रा कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने बुधवार को बांद्रा स्थित फैमिली कोर्ट को आदेश दिया था कि चहल को 21 मार्च से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आगामी सीजन के लिए अपनी टीम किंग्स इलेवन पंजाब में शामिल होना है। न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकलपीठ ने कहा दंपति ढाई साल से अलग रह रहे हैं। उन्होंने पहले ही सहमति की शर्तों का पालन कर लिया है, जिस पर वे मध्यस्थता के दौरान सहमत हुए थे। चहल और वर्मा ने दिसंबर 2020 में शादी की थी और जून 2022 में अलग हो गए। इस साल 5 फरवरी को बांद्रा फैमिली कोर्ट में आपसी सहमति के लिए याचिका दायर की। दंपति ने संयुक्त रूप से फैमिली कोर्ट से कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ करने का आग्रह किया, लेकिन 20 फरवरी को पारित एक आदेश में फैमिली कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। फैमिली कोर्ट ने कहा था कि चहल ने धनश्री को 4 करोड़ 75 लाख रुपए की सहमत राशि में से केवल 2 करोड़ 37 लाख रुपए का भुगतान किया है। इस प्रकार सहमति की शर्तों का केवल आंशिक रूप से पालन किया है। पीठ के समक्ष क्रिकेटर के वकील नितिन गुप्ता ने दलील दी कि उनकी सहमति की शर्तों के अनुसार गुजारा भत्ता की दूसरी किस्त तलाक के आदेश के बाद ही दी जानी है। पीठ ने उनकी दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट ने मामले के इस पहलू पर विचार करने में गलती की है।
नायर अस्पताल के डॉ.पायल तड़वी के आत्महत्या मामला- पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. चिंग लिंग यी ने विशेष ट्रायल कोर्ट के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में दी चुनौती
उधर टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज और बीवाईएल नायर चैरिटेबल अस्पताल में स्त्री रोग और प्रसूति विभाग की पूर्व प्रमुख डॉ. चिंग लिंग यी ने 28 फरवरी के विशेष ट्रायल कोर्ट के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उन्हें ट्रायल कोर्ट ने डॉ. पायल तड़वी आत्महत्या मामले में चौथे आरोपी के रूप में जोड़ा है। मामले की अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है। डॉ. चिंग लिंग यी की ओर से वकील आशीष चव्हाण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उन्हें 23 मई 2019 को अग्रीपाड़ा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में आरोपी के रूप में नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इस मामले जांच पूरी हो चुकी है। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गठित विशेष अदालत ने जुलाई 2019 में ही अपराध का संज्ञान ले लिया था। पिछले नवंबर में जब आरोप तय करने के लिए बहस चल रही थी, तभी अभियोजन पक्ष ने उन्हें चौथे आरोपी के रूप में जोड़ने की मांग की गई थी। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोपी तीन डॉक्टरों द्वारा दायर डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने डॉ. चिंग को मामले में चौथे आरोपी के रूप में जोड़ा। पूर्व विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात ने कहा कि पायल की बार-बार की शिकायतों के बावजूद डॉ. चिंग लिंग यी ने कुछ नहीं किया। मेडिकल कॉलेजों में पायल की चिंताओं को सामान्य से अलग कुछ नहीं बताया। पूर्व विभागाध्यक्ष की याचिका में कहा गया है कि सबूतों के बिना ट्रायल कोर्ट ने केवल चार्जशीट पर भरोसा करके उन्हें भी आरोपी बनाने में अनुचित काम किया, जो कानून के तहत साक्ष्य नहीं है। अंतरिम राहत के तौर पर डॉक्टर चाहती हैं कि हाई कोर्ट आरोपी के रूप में उनके नाम को जोड़ने पर रोक लगाए और ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करे।
Created On :   20 March 2025 8:44 PM IST