Mumbai News: महिला आयोग को न्यायालयीन अधिकार देने का विचार करे सरकार

महिला आयोग को न्यायालयीन अधिकार देने का विचार करे सरकार
  • विधानमंडल की महिला व बच्चों के अधिकार और कल्याण समिति ने की अनुशंसा
  • राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की सिफारिश

Mumbai News विधानमंडल के दोनों सदनों की महिला व बच्चों के अधिकार और कल्याण समिति ने प्रदेश सरकार से राज्य महिला आयोग को न्यायालयीन अधिकार देने की अनुशंसा की है। गत दिनों मानसून अधिवेशन के दौरान इस समिति ने विधान परिषद में साल (2024-25) की पहली रिपोर्ट पेश की है। जिसमें समिति ने कहा कि राज्य महिला आयोग स्वायत्त संस्था है। लेकिन महिला आयोग पारिवारिक हिंसा के मामलों की शिकायतों को अगली कार्रवाई के लिए केवल पुलिस के पास भेज देता है। महिला आयोग को केवल सिफारिश करने का अधिकार है।

महिला आयोग को किसी तरह का न्यायिक और जांच का अधिकार नहीं है। इससे महिला आयोग पीड़ित महिलाओं को मदद और राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठा पाता है। इसलिए राज्य सरकार को महिला आयोग को न्यायालयीन अधिकार देने का विचार करना चाहिए। साथ ही महिला आयोग की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी को रिपोर्ट देने की अवधि भी निर्धारित करनी चाहिए। समिति ने महिला आयोग के सदस्य सचिव पद पर नियुक्त किए जाने वाले आईएएस अफसर की केवल पांच से छह महीने में तबादले किए जाने पर भी टिप्पणी की है।

समिति ने कहा है कि एक साल में तीन महिला आयोग के सदस्य सचिव बदल जाते हैं। इसके साथ ही संबंधित सदस्य सचिव को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग और महिला आर्थिक विकास महामंडल का भी अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। इससे आयोग के कामकाज पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से परिणाम होता है। समिति ने महिला आयोग में दस पद बढ़ाकर 45 कर्मियों के स्टाफ पैटर्न को मंजूरी देने की सिफारिश की है। समिति ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों को तत्काल भरने की अनुशंसा की है। समिति ने कहा है कि महिला आयोग के पास कार्यालय के लिए उचित स्थल और पर्याप्त जगह भी नहीं है। समिति ने महिला आयोग की हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे शुरू रखने की सिफारिश की है।

जालिंदर सुपेकर पर दर्ज हो मामला : विधान परिषद में भाजपा विधायक चित्रा वाघ ने कहा कि महिला समिति ने पुणे के वैष्णवी हगवणे के आत्महत्या मामले की जांच की है। जिसमें वैष्णवी के आत्महत्या का दहेज उत्पीड़न, पारिवारिक हिंसा सहित अन्य कारण सामने आया है। समिति ने वैष्णवी के ससुराल वाले हगवणे परिवार के करीबी तथा पुणे के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) जालिंदर सुपेकर के निलंबित करके उनके खिलाफ मामला दर्ज करने और जालिंदर की पत्नी को सहआरोपी करने की तत्काल कार्रवाई करने की सिफारिश की है। उनके पत्नी के बैंक खाते में देहज का पैसा हस्तांतरित होने बात सिद्ध हुई है। समिति ने दहेज उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) स्तर के अधिकारियों को नियुक्त करने की सिफारिश की है।

Created On :   19 July 2025 7:53 PM IST

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