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बॉम्बे हाई कोर्ट: अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को लेकर बीएमसी अधिकारियों के खिलाफ जांच के दिए आदेश

- 11 साल पहले एक सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति पर कथित तौर पर गलत मेडिकल प्रक्रिया से मौत का मामला
- रजिस्ट्रेशन को लेकर बीएमसी अधिकारियों के खिलाफ जांच के दिए आदेश
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) आयुक्त को मुंबई के एक अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को लेकर 'गुमराह' करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि जांच बीएमसी आयुक्त द्वारा छह सप्ताह के भीतर पूरी की जाएगी और उसकी रिपोर्ट उस अवधि के भीतर एक सीलबंद लिफाफे में अदालत में जमा की जाएगी। यह मामला 11 साल पहले एक सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति पर कथित तौर पर गलत चिकित्सा प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसकी व्यक्ति की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति मनीष पितले और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ के समक्ष दुर्घटना के शिकार हुए व्यक्ति की मां की ओर से वकील मिस्बाह अमीन सोल्कर की दायर याचिका सुनवाई हुई। याचिका में 2014 में अस्पताल में कथित तौर पर गलत चिकित्सा प्रक्रिया के कारण अपने बेटे की मौत के लेकर मुंबई पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की स्थिति की जानकारी मांगी गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि अस्पताल ने उसके बेटे को एक्सीडेंट के बाद एडमिट करने से पहले 75 हजार रुपए मांगे थे। उसके बेटे की सर्जरी के दौरान ऑपरेशन थिएटर में करीब चार घंटे तक बिजली गुल रही, जिससे उसकी मौत हो गई।
पीठ ने अस्पताल के रजिस्ट्रेशन से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए पहले बीएमसी से जवाब मांगा था। अपने जवाब में बीएमसी ने दावा किया कि पिछली बार गलत कम्युनिकेशन की अनदेखी और अंतर विभागीय समन्वय की कमी के कारण सभी तथ्य अदालत के सामने नहीं रखे जा सके। पीठ ने कहा कि जांच इस बात पर भी फोकस करेगी कि क्या सर्टिफिकेट 13 अप्रैल 2022 से मान्य हो सकता है, जो 20 सितंबर, 2024 को जारी किया गया है और क्या यह महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1966 की धारा 5(2) के तहत 31 मार्च 2027 तक वैलिड हो सकता है। महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1966 की धारा 5(2) में यह प्रावधान है कि उस प्रावधान के तहत जारी किया गया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट उस तारीख से तीसरे साल के 31 मार्च तक वैलिड रहेगा, जिस तारीख को ऐसा सर्टिफिकेट जारी या रिन्यू किया गया हो।
पीठ ने बीएमसी आयुक्त को यह भी निर्देश दिया है कि वे जांच करें कि बीएमसी ने सही और सटीक तथ्य क्यों पेश नहीं किए? और अस्पताल के असली रजिस्ट्रेशन के बारे में कोर्ट को ‘गुमराह' करने के लिए जिम्मेदार बीएमसी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रिपोर्ट दें। पीठ ने कहा कि हमें यह अजीब लगा कि बीएमसी ने पहले के किसी भी हलफनामे में इस रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का जिक्र नहीं किया, जिसमें अंतर विभागीय समन्वय के आधार पर समझाने की कोशिश की जा रही है। जब गोवंडी के मिलेनियम हॉस्पिटल इस याचिका में मुश्किलों का सामना कर रहा है, तो बीएमसी के 10 दिसंबर 2024 के अपने हलफनामे में 20 सितंबर 2024 को जारी किए गए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का जिक्र किया जा रहा है।
Created On :   4 Dec 2025 9:43 PM IST












