बॉम्बे हाई कोर्ट: अवैध निर्माण को लेकर राज्य सरकार और टीएमसी को फटकार, कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारियों की मांगी लिस्ट

अवैध निर्माण को लेकर राज्य सरकार और टीएमसी को फटकार, कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारियों की मांगी लिस्ट
  • टीएमसी के हलफनामे पर नाराजगी जताई
  • 2015 और 2016 में अदालत के दिए गए आदेश का पालन नहीं करने वाले टीएमसी अधिकारियों के खिलाफ होगी अवमानना की कार्रवाई
  • 8 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अवैध निर्माण को लेकर राज्य सरकार और ठाणे महानगरपालिका (टीएमसी) को फटकार लगाई। अदालत ने ठाणे के सरकारी गोचर भूमि पर बने 1500 अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने वाले उन टीएमसी और जिला के अधिकारियों की लिस्ट मांगा है, जिन्होंने 2015 और 2016 में अदालत के अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश का पालन नहीं किया। अदालत उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कर सकता है। 8 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटील की पीठ के समक्ष अनिल नारायण जोशी की 2010 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीठ के समक्ष आन लाइन ठाणे के आयुक्त पेश हुए। उनकी ओर से एक हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें बताया गया कि टीएमसी लगातार सरकारी भूमि पर किए गए अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। पीठ ने टीएमसी के हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इसमें यह संख्या नहीं बताई गई है कि 2015 के अदालत के आदेश के बाद अब तक सरकारी गौचरन भूमि बने कितने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की गई है? अभी तक कितने अवैध निर्माण पर कार्रवाई करना बाकी है?

सरकार की पॉलिसी के अनुसार 4 अप्रैल 2002 और 22 जुलाई 2014 के अनुसार कितने झोपड़े संरक्षित है और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उनका पुनर्वसन करना जरूरी है। सरकार की पॉलिसी के मुताबिक वर्ष 2000 के पहले के अवैध झोपड़ों को वैध करार दिया है। पीठ ने टीएमसी से पूछा कि पातलीपाडा, बालकुम, येऊर और महापौर के बंगले के पीछे सरकारी जंगल की आरक्षित भूमि पर बने अवैध झोपड़ों को क्या संरक्षण दिया जा सकता है? इस पर टीएमसी के वकील के विरोधाभासी बयानों ने पर नाराजगी जताई और उन्हें 8 दिसंबर को अगली सुनवाई के दौरान स्पष्ट करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता के वकील श्रीराम कुलकर्णी ने दलील दी कि जिला अधिकारी और टीएमसी को पता है कि कौन से अवैध निर्माण को संरक्षण देना है? इनमें 1995 के पहले के बने आदिवासियों के निर्माण शामिल है। उन्हें संरक्षण दिए जाने की जरूरत है। सरकारी जंगल की भूमि पर अवैध निर्माणों को सरकार की पॉलिसी के आधार पर संरक्षण नहीं दिया जा सकता है। याचिका दायर करते समय लगभग 300 से 400 निर्माण थे और आज की तारीख में निर्माणों की संख्या 1500 से अधिक हो गई है।

अदालत ने 2015 में टीएमसी और जिला अधिकारी को अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का स्पष्ट निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक पूरी कार्रवाई नहीं की गई है। सरकारी भूमि पर बने अवैध निर्माणों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता है और उन्हें हमारे टैक्स के पैसे से पुनर्वसन करना ठीक नहीं है। इस पर पीठ ने कहा कि 2015 के अदालत के आदेश पर पूरी तरह से अमल नहीं करने वाले टीएमसी के तत्कालीन आयुक्त समेत अधिकारी जिम्मेदार हैं। उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करनी होगी। टीएमसी ऐसे अधिकारियों की लिस्ट 8 दिसंबर को अगली सुनवाई के दौरान दे, जिनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सके।

Created On :   4 Dec 2025 9:39 PM IST

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