Mumbai News: पंकजा मुंडे और आरएसएस की रैली पर रहेगी नजर, क्या साथ आएंगे ठाकरे बंधू

पंकजा मुंडे और आरएसएस की रैली पर रहेगी नजर, क्या साथ आएंगे ठाकरे बंधू
  • उद्धव, शिंदे से लेकर मनोज जरांगे तक भरेंगे हुंकार
  • 5 रैलियों में दिखेगा ताकत का प्रदर्शन

Mumbai News. इस वर्ष का दशहरा सिर्फ एक सांस्कृतिक पर्व नहीं बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का भी दिन बनने जा रहा है। इस बार 5 प्रमुख रैलियों के साथ महाराष्ट्र की राजनीति में गुरुवार को जबरदस्त हलचल देखने को मिलेगी। शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे, शिवसेना (शिंदे) प्रमुख एकनाथ शिंदे, मराठा आंदोलन के प्रमुख मनोज जरांगे-पाटील, भाजपा नेता और मंत्री पंकजा मुंडे और नागपुर में होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की रैलियों से राज्य का सियासी पारा चढ़ेगा। हालांकि सभी की नजरें इस बात पर लगी हुई हैं कि क्या उद्धव ठाकरे की रैली उनके चचेरे भाई राज ठाकरे शामिल होंगे या नहीं।

क्या उद्धव-राज एक साथ आएंगे?

बीते कुछ दिनों में उद्धव और राज के चार बार मिलने से महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलें लगने लगी थीं कि राज्य में होने वाली आगामी स्थानीय चुनाव दोनों भाई एक साथ लड़ सकते हैं। हालांकि दोनों ही ठाकरे बंधुओं की ओर से अभी तक साथ चुनाव लड़ने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। राजनीतिक गलियारों में तो चर्चा इस बात की भी है कि दशहरा रैली के लिए उद्धव ने पिछले महीने राज ठाकरे को शिवाजी पार्क में होने वाली दशहरा रैली के लिए निमंत्रण दिया था। ऐसे में अब सभी की नजरें इस बात पर ही लगी हुई हैं कि क्या शिवसेना (उद्धव) की रैली में दोनों भाईयों के एक साथ चुनाव लड़ने का ऐलान होगा।

उद्धव की रैली पर भाजपा का तंज

शिवसेना (उद्धव) की रैली पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। प्रदेश भाजपा मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि जब महाराष्ट्र में बाढ़ का कहर है, किसान परेशान हैं, उस समय उद्धव ठाकरे एक रैली पर 63 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उद्धव एक ओर किसानों की कर्जमाफी की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर करोड़ों रुपए एक रैली पर खर्च करते हैं।

दशहरा: राजनीति की नई रणभूमि?

दशहरा पर होने वाली रैलियां सिर्फ शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि इसी साल राज्य में होने जा रहे स्थानीय चुनावों की पटकथा की तरह देखी जा रही हैं। जहां एक ओर शिंदे गुट बीएमसी में सत्ता पाने के लिए जी जान से जुटी हुई है, वहीं उद्धव ठाकरे एशिया की सबसे अमीर महानगरपालिका पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे के लिए यह राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई भी है। राज ठाकरे की भूमिका भी सबसे दिलचस्प रहेगी कि वे किस ओर झुकते हैं। मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की नाक में दम करने वाले मनोज जरांगे-पाटील भी अपनी जीत की खुशी में रैली कर रहे हैं। जबकि भाजपा नेता पंकजा मुंडे भी बीड में रैली को संबोधित करेंगी। नागपुर में आरएसएस की रैली होगी, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।

5 रैलियों में दिखेगा ताकत का प्रदर्शन

उद्धव ठाकरे- पारंपरिक शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करेंगे। यह मंच शिवसेना (उद्धव) की ऐतिहासिक परंपरा का प्रतीक रहा है। उद्धव गुट इसे भावनात्मक और वैचारिक ताकत के रूप में पेश करेगा।

एकनाथ शिंदे- नेस्को मैदान गोरेगांव में शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। सरकार का चेहरा होते हुए वे यह दिखाना चाहेंगे कि असली शिवसेना उनके साथ है।

पंकजा मुंडे- उनकी रैली में राष्ट्रवाद, महाराष्ट्र की अस्मिता और राजनीतिक दिशा पर बात होगी।

मनोज जरांगे-पाटील- ओबीसी आरक्षण को लेकर दशहरे पर लोगों को संबोधित करेंगी।

आरएसएस - संघ प्रमुख स्वयंसेवकों को देंगे सीख।

Created On :   1 Oct 2025 10:34 PM IST

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