बॉम्बे हाई कोर्ट: महानगरपालिकाओं और नगरपालिकाओं को अवैध होर्डिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश, उद्योगपति अनिल अंबानी को झटका

महानगरपालिकाओं और नगरपालिकाओं को अवैध होर्डिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश, उद्योगपति अनिल अंबानी को झटका
  • राज्य के मनपा और नपा के सभी वार्डों में अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त
  • उपायुक्त स्तर के अधिकारी वार्ड के नोडल आफिस की कार्रवाई करेंगे निगरानी
  • अदालत ने अंबानी की एसबीआई के धोखाधड़ी वाले कर्ज वर्गीकरण के खिलाफ दायर याचिका को किया खारिज

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य भर के महानगरपालिकाओं (मनपा), नगर पालिकाओं (नपा) और नगर परिषदों को अवैध होर्डिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है। अदालत ने अपने पिछले आदेशों को मनपा एवं नपा के अधिकारियों को पूरी तरह से अमल करने को कहा है। 15 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की पीठ राज्य भर में अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने अवैध होर्डिंग से निपटने के लिए सुझावों का एक संकलन प्रस्तुत किया। इसमें राजनीतिक दलों को चार सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट के समक्ष अवैध होर्डिंग को लेकर एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए, जिसमें यह घोषणा की जाए कि वे और उनकी पार्टी के सदस्य मनपा और नपा के अधिकारियों की उचित अनुमति के बिना कोई बैनर नहीं लगाएंगे। महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने पीठ को बताया कि मनपा और नपा के सभी वार्डों में अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। सभी वार्ड ऑफिसर नोडल अधिकारी होंगे और उपायुक्त स्तर के अधिकारी वार्ड के नोडल आफिस की कार्रवाई की निगरानी करेंगे। नोडल अधिकारी द्वारा संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी पुलिस अधिकारी को विरूपण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध की सूचना दिए जाने पर वह उचित कदम उठाएगा। सुझावों की जांच के बाद पीठ ने कहा कि यदि नोडल अधिकारी अपना कर्तव्य नहीं निभाते हैं, तो तंत्र क्या है? उनके खिलाफ कोई विभागीय जांच होगी? यदि यह पाया जाता है कि अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं, तो हम 4 से 8 सप्ताह के भीतर विभागीय जांच जोड़ेंगे। कुछ तो होना ही चाहिए। इससे पहले अदालत के निर्देश पर राजनीतिक पार्टियों को याचिकाओं में पक्षकार बनाया गया था। अदालत ने पाया था कि राजनीतिक पार्टियों के नेताओं द्वारा अदालत के आदेश का उल्लंघन कर अवैध होर्डिंग लगाया जाता है। महानगर पालिकाओं और नगरपालिकाओं को अवैध होर्डिंग्स की तस्वीरें और स्थान अपलोड करने की सुविधा के साथ टोल-फ्री शिकायत नंबर शुरू करने होंगे। यहां तक कि गुमनाम शिकायतों पर भी कार्रवाई करनी होगी। नोडल अधिकारियों को प्रतिदिन वार्ड का दौरा करने, अवैध होर्डिंग को हटाने को सुनिश्चित करने और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का भी निर्देश दिया जाएगा। सुझावों में बैनरों पर क्यूआर कोड अनिवार्य करने जैसी सख्त जांच शामिल थी, जिसमें बैनर लगाने वालों और उनकी वैधता अवधि का विवरण शामिल हो। वार्ड स्तर पर अवैध होर्डिंग की निगरानी, जागरूकता बढ़ाने और स्थानीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न करने पर मामले को आगे बढ़ाने के लिए नागरिक समितियां बनाई जाएंगी। समिति के सदस्यों के नाम और संपर्क विवरण महानगरपालिकाओं और नगरपालिकाओं की वेबसाइटों पर प्रकाशित किए जाएंगे।

बॉम्बे हाई कोर्ट से उद्योगपति अनिल अंबानी को लगा झटका

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट से उद्योगपति अनिल अंबानी को झटका लगा है। अदालत ने शुक्रवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के उनके कर्ज खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के फैसले के खिलाफ दायर उनकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने प्रक्रियात्मक अनुचितता के अंबानी की दलीलों को खारिज कर दिया और एसबीआई के फैसले को बरकरार रखा। जून 2025 में एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी के कर्ज खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किया था। बैंक ने धन के दुरुपयोग, कर्ज अनुबंधों के उल्लंघन और संबंधित पक्ष के लेन-देन जैसे कारणों का हवाला दिया। एसबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सूचित किया और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से संपर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अंबानी ने एसबीआई के फैसले को चुनौती देते हुए दलील दी कि वह आर.कॉम के केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक हैं और उन्हें चुनिंदा रूप से निशाना बनाया गया है। उन्हें अपना बचाव प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। हालांकि पीठ ने पाया कि एसबीआई ने धोखाधड़ी वर्गीकरण पर आरबीआई के जुलाई 2024 के मास्टर निर्देशों के अनुसार कार्य किया था और अंबानी की याचिका खारिज कर दी। इसी पीठ ने पहले आरबीआई के मास्टर सर्कुलर का पालन न करने का हवाला देते हुए केनरा बैंक द्वारा अंबानी के खिलाफ जारी किए गए इसी तरह के धोखाधड़ी वर्गीकरण आदेश पर रोक लगा दी थी। जुलाई 2025 में केनरा बैंक द्वारा अदालत को सूचित किए जाने के बाद कि उसने धोखाधड़ी वर्गीकरण वापस ले लिया है। इस मामले का निपटारा कर दिया गया।

Created On :   3 Oct 2025 8:11 PM IST

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