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महाराष्ट्र सदन से अहिल्याबाई और सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा हटाने पर विवाद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वीर सावरकर की जयंती पर दिल्ली के महाराष्ट्र सदन से अहिल्याबाई होलकर और क्रांति ज्योती सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा को हटाने पर विवाद हो गया है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने राज्य की मौजूदा शिंदे-फडणवीस सरकार पर दोनों महान विभूतियों का अपमान करने का आरोप लगाया है। दोनों ही दलों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग की है।
सरकार सत्ता के बल पर कुछ भी कर सकती है - नाना पटोले
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को वीर सावरकर की जयंती पहली बार दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में मनाई थी। इस समारोह पर उस समय विवाद हो गया, जब सावरकर की प्रतिमा को स्थापित करने से पहले अहिल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले की प्रतिमाओं को सदन के कैंपस से हटा दिया गया। जैसे ही मामला प्रकाश में आया, तो कांग्रेस और राकांपा ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पर हमला बोल दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि इन नेताओं की महिला विरोधी मानसिकता सामने आ गई है। सरकार सत्ता के बल पर कुछ भी कर सकती है और इसका उदाहरण महाराष्ट्र सदन में देखने को भी मिला है। उन्होंने कहा कि मेरी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मांग है कि वह महाराष्ट्र की जनता से इस कृत्य के लिए माफी मांगें।
देश के आदर्शों की प्रतिमा को हटाना फुले और होलकर दोनों का अपमान- जयंत पाटील
राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने कहा कि सावरकर के कार्यक्रम से पहले अहिल्याबाई होलकर और सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा को हटाकर सावरकर की प्रतिमा लगाना अपने आप में बताता है कि सरकार किस रास्ते पर चल रही है। पाटील ने कहा कि हमें इससे विरोध नहीं है कि सावरकर की प्रतिमा महाराष्ट्र सदन में लगाई गई है, लेकिन देश के आदर्शों की प्रतिमा को हटाना फुले और होलकर दोनों का अपमान है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता यह सब देख रही है और जल्द ही जनता इसका जवाब उन्हें देगी।
Created On :   29 May 2023 9:41 PM IST