गोमांस तस्करों पर छापा : पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोपी को मिली अग्रिम जमानत

गोमांस तस्करों पर छापा : पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोपी को मिली अग्रिम जमानत
  • पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोपी को मिली अग्रिम जमानत
  • गोमांस तस्करों पर छापा
  • अदालत ने पूछा किसको मारा
  • पुलिस नहीं दे पाई जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे में बीफ (गोमांस) तस्करों पर छापेमारी के दौरान पुलिस दल पर हमले के एक आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता पर पुलिस दल पर हमले का जो आरोप लगाया गया है, उसमें पूरी सच्चाई नहीं है। याचिकाकर्ता ने किस पर हमला किया और उनके पास हमला करने के सबूत क्या है? पुलिस यह अदालत को बताने में नाकाम रही।

न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकलपीठ के समक्ष बुधवार को एक आरोपी की ओर से वकील गणेश गुप्ता की दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने पुलिस से पूछा कि याचिकाकर्ता ने किसको मारा? इसका जवाब पुलिस अदालत में नहीं दे पाई। पीठ ने संदेह का लाभ देते हुए याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दे दी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि वह निर्दोष है और इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है। उसके खिलाफ आरोपों के लिए कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है।

क्या है मामला

याचिकाकर्ता के मुताबिक, कोंढवा पुलिस स्टेशन के ड्यूटी पर तैनात बीट मार्शल को 13 मई को सुबह 7.45 बजे एमडीटी डिवाइस पर फोन आया कि पुणे के कोंढवा खुर्द में गोवंश हत्या हो रही है। पुलिस उप निरीक्षक रत्नदीप बिराजदार के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम घटना स्थल पर पहुंची, तो उस्मान रेजीडेंसी के पास एक शेड बंद था। पुलिस को उसमें ही गोवंश बध होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने उस शेड का ताला तोड़ा, तो उसमें 20 से 25 किलो मांस, दो सींग और गोवंश वध करने का औजार मिला। इस दौरान 10 से 15 लोगों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उनके साथ मारपीट एवं धक्का-मुक्की शुरू कर दी। वे सभी पुलिस के कब्जे से मांस, सींग और औजार लेकर फरार हो गए। पुलिस ने 14 मई को 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड की धारा 332, 353, 201, 143, 147, 149, 429, 506 आर/डब्ल्यू 34, महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम 1995 की संहिता और धारा 5, 5(सी), 9, 9(ए), 9(बी), 11 के अंतर्गत मामला दर्ज किया। पुलिस ने इस मामले में याचिकाकर्ता को पूछताछ के लिए बुलाया, तो उसे पता चला कि उसके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता मांस बिक्री का कार्य करता है, लेकिन उन 15 लोगों में शामिल नहीं था, जिन पर पुलिस ने हमला करने का आरोप लगाया है।

अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हुई थी

याचिकाकर्ता ने पुणे के सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई। पुलिस ने अदालत में अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस को याचिकाकर्ता से हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता है। सेशन कोर्ट ने पुलिस की दलील पर संज्ञान लेते हुए उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की।

Created On :   29 Jun 2023 10:12 PM IST

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