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तस्करी कर लाई गई लड़कियों के यौन शोषण की जांच को लेकर लापरवाही
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने सांगली पुलिस को लगाई फटकार
- सांगली के विश्रामबाग पुलिस पर यौन शोषण का आरोप
- फर्जी दस्तावेजों के तहत बांग्लादेश से युवतियों की तस्करी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने फर्जी नागरिकता दस्तावेजों के तहत बांग्लादेश से -तस्करी कर लाई गई लड़कियों के यौन शोषण की जांच को लेकर लापरवाही बरतने के मामले में सांगली पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने इस मामले में सांगली के पुलिस अधीक्षक को दो सप्ताह में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। विश्रामबाग पुलिस पर बांग्लादेश से तस्करी कर लाई गई लड़कियों से शोषण यौन शोषण का आरोप लगा है।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति एस.जी.डिगे की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को तस्करी के खिलाफ आवाज उठाने वाली सामाजिक संस्था फ्रीडम फर्म की ओर से वकील स्टीवन एंथोनी, वकील वकार पठान और वकील वेस्ले मेनेजेस की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान फ्रीडम फर्म द्वारा एक नया हलफनामा पेश किया गया, जिसमें विश्रामबाग पुलिस की जांच पर सवाल उठाया गया है। खंडपीठ ने कहा कि उन्हें छापेमारी की सिर्फ एक घटना में दिलचस्पी नहीं है, बल्कि उस सिंडिकेट में दिलचस्पी है, जो बांग्लादेश लड़कियों की तस्वीर कर उन्हें भारतीय नागरिक के रूप में शामिल करके उनसे वेश्यावृत्ति करवाता है। अदालत ने सीमा पार से संगठित अपराध गिरोह द्वारा बांग्लादेश से युवा लड़कियों की तस्करी करने और उन्हें भारतीय जन्म प्रमाण पत्र, जाली आधार कार्ड और पासपोर्ट के साथ महाराष्ट्र के सांगली जिले में वेश्यावृत्ति में धकेलने की पुलिस की जांच को खारिज कर दिया।
खंडपीठ ने पुलिस से पूछा कि उन लोगों के बारे में क्या, उन्होंने इसे सुविधाजनक बनाया? पुलिस ने यह जांच नहीं की है कि पीड़ित लड़कियों को बांग्लादेश से भारत कौन लाया? और उन्हें किसने भारतीय नागरिक के रूप में महाराष्ट्र में बसाया। यदि आप रुचि नहीं रखते हैं, तो हम मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर देंगे। अदालत में सांगली डिवीजन के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी के हलफनामे पर गौर किया, उन्होंने पुजारी से जांच की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन खंडपीठ प्रगति से असंतुष्ट थी।
फ्रीडम फर्म ने पिछले साल 2022 में भंडाफोड़ किए गए लड़कियों के तस्करी रैकेट में विश्रामबाग पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारियों की ढीली जांच और संलिप्तता के संबंध में दायर याचिका दायर की। अदालत ने मामले का संज्ञान लेने के बाद पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईपीएस) आंचल दलाल को जांच करने का आदेश दिया था।
इस साल 29 जनवरी में प्रस्तुत रिपोर्ट में जांच अधिकारी पीआई कलप्पा पुजारी और हेड कांस्टेबल स्वप्निल कोली सहित पुलिस स्टेशन के कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था। उसकी पूछताछ में पाया गया कि कोली ने तस्करी के पीड़ितों में से एक बांग्लादेशी लड़की का यौन और आर्थिक शोषण किया था। इसके बाद अलग से अपराध दर्ज किया गया. कोली पर आईपीसी की धारा 376(2)(एन), 376(सी)(बी) और 384 और पोक्सो की धारा 4, 5(ए)(आई) और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने उसे फरवरी में गिरफ्तार किया था और वह जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
Created On :   19 Aug 2023 6:36 PM IST