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एसबीटीसी को नहीं मिल रहा फुल टाइम सहायक संचालक
- तीन महीने से प्रभारी के देख रहे काम-काज
- ब्लड बैंकों के काम-काज को नियंत्रित करने में हो रही परेशानी
- रोगियों को विशिष्ट पहचान पत्र मिलने में हो रही दिक्क्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई. मोफीद खान। राज्य में रक्त की आपूर्ति सुचारू रूप से हो, इसके लिए राज्य रक्त संक्रमण परिषद (एसबीटीसी) का गठन किया गया था। लेकिन इस परिषद की हालत यह है कि इसे फुल टाइम सहायक संचालक नहीं मिल रहा है। बीते तीन महीनों से यह विभाग एक प्रभारी अधिकारी के दम पर चल रहा है। पूर्णकालिक सहायक निदेशक के अभाव में परिषद को अस्पतालों में रक्त की आपूर्ति करने वाले ब्लड बैंकों के काम-काज को नियंत्रित करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य में पंजीकृत ब्लड बैंकों के माध्यम से रक्त संग्रह, परीक्षण और रक्त वितरण का नियंत्रण राज्य रक्त संक्रमण परिषद द्वारा किया जाता है। इसलिए जब राज्य में रक्त की कमी होने की स्थिति बनती है, तो उस समय परिषद ब्लड बैंकों को तुरंत रक्तदान शिविर आयोजित करने का आदेश देती है। इस परिषद के तत्कालीन सहायक संचालक डॉ. अरुण थोरात 31 मार्च को रिटायर हो चुके हैं, तब से अभी तक इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। इस पद का अतिरिक्त भार स्वास्थ्य सेवा निदेशालय से जुड़े महेंद्र केंद्रे को सौंपा गया है।
थैलेसीमिया- हीमोफीलिया के मरीज अधिक प्रभावित
इन दिनों स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कार्यालय से एसबीटीसी का काम-काज चल रहा है। तीन माह से एसबीटीसी का काम काफी धीमी गति से होने की वजह से सबसे ज्यादा थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीज प्रभावित हो रहे हैं। थैलेसीमिया और हीमोफीलिया से पीड़ित बच्चों को एक अंतराल पर रक्त की आवश्यकता होती है।
रोगियों को विशिष्ट पहचान पत्र मिलने में हो रही दिक्क्त
गरीब परिवार के मरीज हर बार खून खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए, एसबीटीसी द्वारा ऐसे रोगियों को एक विशिष्ट पहचान पत्र जारी किया जाता है। इससे उन्हें राज्य के किसी भी पंजीकृत ब्लड बैंक से मुफ्त रक्त प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। आवेदन के बाद प्राप्त पहचान पत्र पर सहायक निदेशक के हस्ताक्षर आवश्यक हैं, इसलिए पहचान पत्र को स्वास्थ्य सेवा निदेशालय को भेजना होगा। इस प्रक्रिया में समय लगने के कारण मरीजों और उनके अभिभावकों को पहचान पत्र के लिए दो से तीन चक्कर एसबीटीसी ले कार्यालय में लगाने पड़ते हैं।
ब्लड बैंकों की निगरानी पर दिख रहा असर
वर्तमान में राज्य में 250 पंजीकृत ब्लड बैंक कार्यरत हैं। इनमें से 31 बड़े ब्लड बैंक और 41 ब्लड बैंक जिला स्तर पर हैं। पूर्णकालिक अधिकारी नहीं होने के कारण इन ब्लड बैंकों की दैनिक गतिविधियों और इनके स्टॉक अपडेट पर निगरानी नहीं हो पा रही है।
मिलिंद म्हैसकर, अतिरिक्त मुख्य सचिव- स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एसबीटीसी के लिए पूर्णकालिक सहायक निदेशक के पद पर उपयुक्त अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू है और जल्द ही इस पद पर अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
Created On :   3 July 2023 5:35 PM IST