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9 महिनों में 34 हजार 28 गावों को ओडीएफ प्लस बनाने का लक्ष्य
- फिलहाल 1 हजार 40 गांव इस सूची में शामिल
- 34 हजार 28 गावों को ओडीएफ प्लस बनाने का लक्ष्य
- लक्ष्य 9 महिनों में तय करना है
डिजिटल डेस्क, अमित कुमार, मुंबई। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के तहत राज्य में अभी तक 7142 गांव खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ)सेओडीएफ प्लसके रूप में तब्दील हो चुके हैं। इस साल 2023-24 में 35 हजार 68 गांव ओडीएफ प्लस बनाया जाना है। जिसमें से अब तक सिर्फ 1 हजार 40 गांव ओडीएफ प्लसघोषित हुए हैं। जबकि बचे हुए 34 हजार 28 गांवों कोमार्च 2024 तक यानी अगले 9 महीनों मेंओडीएफ प्लस बनाने का लक्ष्य है। इन सभी गांवों में फिलहाल ओडीएफ प्लस से जुड़े विभिन्न काम जारी हैं। प्रदेश सरकार के जलापूर्ति व स्वच्छता विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर' से बातचीत में बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के पहले चरण में राज्य के 40 हजार 270 गांवों को साल 2018 में खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया था। अब स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण में गांवों को ओडीएफप्लस बनाना है। राज्य में दूसरे चरण का काम साल 2021 से शुरु गया है। अधिकारी ने बताया कि ओडीएफप्लसगांव ऐसे गांवों को कहा जाता है जहां पर स्थायी रूप से खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) के साथ ही ठोस और तरल कचरा प्रबंधन, गोबरधन, प्लास्टिक प्रबंधन, मलीय प्रबंधन की व्यवस्था स्थापित कर दी गई हो। अधिकारी ने कहा कि गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने के काम की गति विभिन्न कारणों से थोड़ी धीमी है। लेकिन हमें उम्मीद है कि मार्च 2024 तक सभी गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार ओडीएफ प्लस की तीन श्रेणी तैयार की गई है। जिसमें एस्पायरिंग, राइजिंग और मॉडलश्रेणी का समावेश है। जिस गांव में सभी परिवार शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। गांवों के स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, ग्राम पंचायत कार्यलय में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था हो। ऐसे गांवों को एस्पायरिंग श्रेणी में शामिल किया जाता है। जिन गांवों में शौचालय के इस्तेमाल, स्कूलों आंगनवाड़ी केंद्रों में शौचालय की सुविधा के अलावा ठोस कचरा और तरल कचरा प्रबंधन हो। ऐसे गांवों को राइजिंग श्रेणी में शामिल किया जाता है। जिन गांवों में शौचालय की सुविधा, ठोस और तरल कचरा के प्रबंध के अलावा प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, मलीय कचरा प्रबंधन, बायोगैस परियोजना सहित अन्य सुविधाओं उपलब्ध है। ऐसे गांवों को मॉडलश्रेणी में समावेश किया जाता है।
नाशिक में गोबरधन की पहली परियोजना
नाशिक के येवला तहसील के अंदरसुल में गोबरधन की पहली परियोजना का काम पूरा हो चुका है। गोबरधन परियोजना के तहत मवेशियों के कचरे, रसोई के अपशिष्ट सहित अन्य कचरे से बायोगैस तैयार किया जाता है। अमरावती, पुणे, सातारा और जलगांव में भी गोबरधन की परियोजनाओं का काम पूरा हुआ है। राज्य भर में गोबरधन की 36 परियोजनाओं स्थापित की जानी है। जबकि मलीय कचरा प्रबंधन की पहली परियोजना रत्नागिरी के नाचणे गांव में पूरी हुई है।
इस साल 95 करोड़ रुपए खर्च
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के लिए ग्राम पंचायतों को केंद्र सरकार से 60 प्रतिशत और राज्य सरकार से 40 प्रतिशत निधि उपलब्ध कराई जाती है। इसके तहत साल 2023-24 में जून महीने तक 95 करोड़ 44 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। जबकि साल 2022-23 में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 762 करोड़ 7 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। जिसमें से 232 करोड़ 97 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। जबकि बची हुई राशि को मौजूदा वित्तीय वर्ष में खर्च करने की अनुमति मिली हुई है।
प्रदेश में ओडीएफप्लस गांवों की स्थिति
ओडीएफ प्लस के प्रकार वर्तमान में घोषित गांव साल 2023-24 का लक्ष्य
एस्पायरिंग श्रेणी 1737 19670 304
राइजिंग श्रेणी 464 3515 33
मॉडल श्रेणी 4941 11883 667
कुल ओडीएफ प्लस गांव 7142 35068 1040
ठोस कचरा प्रबंधन
वर्तमान में घोषित गांव साल 2023-24 का लक्ष्य लक्ष्य प्राप्ति
6222 34478 663
तरल कचरा प्रबंधन
वर्तमान में घोषित गांव साल 2023-24 का लक्ष्य लक्ष्य प्राप्ति
7503 34862 462
राज्य के ग्रामीण इलाकों की स्थिति
जिला ब्लॉक ग्राम पंचायत गांव कुल ग्रामीण परिवार
34 352 27859 40270 12217174
Created On :   2 July 2023 6:29 PM IST