गुरुकुल के सातों विद्यार्थियों को मिले 75 फीसदी से ज्यादा अंक

गुरुकुल के सातों विद्यार्थियों को मिले 75 फीसदी से ज्यादा अंक
विशेष विद्यार्थियों की खास कामयाबी

दुष्यंत मिश्र, मुंबई । दसवीं की परीक्षा में वैसे तो लाखों विद्यार्थियों ने कामयाबी हासिल की, लेकिन घाटकोपर के गुरुकुल सेंटर फॉर स्पेशल सेंटर में पढ़ने वाले सात विद्यार्थियों की कामयाबी खास है, क्योंकि ये विद्यार्थी विशेष हैं। तमाम चुनौतियों के बीच इन सभी विद्यार्थियों ने 75 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए हैं।

ह्वीलचेयर की मदद से चलने-फिरने और लिखने में परेशानी का सामना करने वाली सृष्टि दाभोलकर ने सबसे ज्यादा 84.20 फीसदी अंक हासिल किए हैं, जबकि चीजें समझने में और बोलने में मुश्किल का सामना करने वाले यक्ष गाला को 82.60 फीसदी अंक मिले हैं। नतीजों से उत्साहित स्कूल की मुख्याध्यापिका सकीना भारमल ने कहा कि हम इन विशेष बच्चों को पिछले पांच वर्षों से परीक्षा के लिए तैयार कर रहे हैं। इससे पहले यहां के बच्चों ने साल 2017 में परीक्षा दी थी।

चार शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया

भारमल ने बताया कि बोर्ड से इजाजत लेकर दूसरे स्कूलों से विद्यार्थी परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं। इस विशेष स्कूल में शिक्षक अलग-अलग विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के मुताबिक चीजें सिखातें हैं और विषयों की जानकारी देते हैं। कुल चार शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी इन विद्यार्थियों की ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी गई थी। दिन में पांच घंटे इन बच्चों को पढ़ाया जाता था। सीखने में आसानी हो, इसके लिए इन्हें छोटे-छोट नोट और चार्ट बनाकर दिए जाते हैं, साथ ही पाठ्यक्रम भी बच्चों की क्षमता के मुताबिक तैयार किया जाता है। भारमल ने बताया कि परीक्षा के दौरान जो बच्चे लिख नहीं सकते, उन्हें सहायक उपलब्ध कराए जाते हैं। थोड़ा अतिरिक्त समय दिया जाता है और स्पेलिंग लिखने में हुई छोटी गलतियों को नजरअंदाज किया जाता है, बाकी परीक्षा सामान्य विद्यार्थियों जैसी ही होती है।

विषयों के मिलते हैं पर्याय

भारमल ने बताया कि इन विद्यार्थियों को गणित में थोड़े आसान सवाल या छोटी कक्षाओं के सवाल दिए जाते हैं। साथ ही विज्ञान की जगह गृह विज्ञान का विकल्प होता है, जिसमें खाना बनाने जैसी चीजें सिखाई जातीं हैं। बच्चा ह्वीलचेयर पर है, तो वह सामान्य व्यायाम नहीं कर सकता। इसके चलते उनके पास पानी से सुरक्षा, बुक बाइंडिंग, चीजें बनाने आदि के विकल्प होते हैं। भारमल ने कहा कि परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की आयु 18 से 24 साल के बीच है। ये विद्यार्थी थोड़ी धीमी गति से सीखते हैं, इसलिए काफी धैर्य रखना पड़ता है।

ये हैं चमकते सितारे

84.20% अंक: श्रुति दाभोलकर-ह्वीलचेयर पर चलतीं हैं, लिखने में परेशानी।

82.60% अंक: यक्ष गाला-चीजें समझने और बोलने में परेशानी

80.20 % अंक: ऋषभ कोठारी-ऑटिजम का सामना कर रहे, बोलने में समस्या

79.20 % अंक: कशिश पटेल-चीजें समझने में परेशानी, बेहद शर्मीला स्वभाव

76.80 % अंक: किरण शेट्टी-चीजें सीखने में परेशानी,

75.80% अंक: सोनल पटेल-वोकेशनल क्लास में पढ़ाई की, अगस्त 2022 से शुरू की तैयारी

76.60 % अंक: तेजल कन्नडे, मराठी भाषा की परीक्षा दी

Created On :   3 Jun 2023 7:53 PM IST

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