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राज्य के 43% डॉक्टर लैब, दवा कंपनी, नर्सिंग होम से लेते हैं कमीशन
- सर्वेक्षण: धरती के ‘भगवान’ के बारे में चौंकानेवाला खुलासा
- 64% लोग चाहते हैं कि जेनेरिक-ब्रांडेड दवाएं लिखें चिकित्सक
- दो तिहाई मरीजों की चाहत-कहीं से भी औषधि खरीदने की मिले छूट
मोफीद खान, मुंबई । डॉक्टरों को धरती का ‘भगवान’ कहा जाता है। महाराष्ट्र में कराए गए एक सर्वेक्षण में मरीजों की जान बचाने वाले चिकित्सकों के बारे में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है। सर्वे में शामिल 7,106 लोगों में से 43% ने माना है कि मरीजों के सैंपल की जांच करने वाली लैब, नर्सिंग होम और दवा कंपनियां डॉक्टरों को कमीशन देती हैं। इनमें से 64 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि चिकित्सक जेनेरिक-ब्रांडेड दवाएं लिखें। दो तिहाई का कहना है कि मरीजों को कहीं से भी दवा खरीदने की छूट मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने हाल ही में डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां लिखने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। ऐसा नहीं करने पर संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है। इस बारे में आम लोगों की नब्ज टटोलने के लिए निजी संस्था लोकल सर्किल ने यह सर्वे किया था। सर्वेक्षण में तीन समूह बनाए गए और अलग-अलग सवाल पूछे गए।
पहले ग्रुप से पूछे गए सवाल : पहले ग्रुप में शामिल 1,872 लोगों से पूछा गया, ‘क्या आपको लगता है कि जिन डॉक्टरों/विशेषज्ञों से आप परामर्श लेते हैं, उन्हें कौन नकद या वस्तु के रूप में प्रोत्साहन/कमीशन देता है? 43 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि लैब, नर्सिंग होम, दवाई कंपनी आदि डॉक्टरों को कमीशन देते हैं। 9% ने पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक लैब, 11 प्रतिशत ने फार्मा कंपनियों और एक फीसदी ने नर्सिंग होम से कमीशन मिलने की बात कही। केवल 7 प्रतिशत ने कहा कि डॉक्टर किसी से कमीशन नहीं लेते।
जेनेरिक के साथ एक ब्रांडेड दवा लिखें : दूसरे समूह के 3,331 लोगों से पूछा गया कि एक मरीज के रूप में आपके डॉक्टर को कौन-सी दवाई लिखनी चाहिए? 64 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना था कि जेनेरिक दवाई के घटक के साथ एक ब्रांडेड दवा लिखनी चाहिए ताकि विकल्प के मुताबिक वे दवाई का चयन आसानी से कर सकें। 9 फीसदी ने केवल जेनेरिक और 6 फीसदी ने ब्रांडेड दवाई का नाम लिखने पर जोर दिया।
उपहार-कमीशन न लें डॉक्टर : आयोग के निर्देश के मुताबिक डॉक्टर उपहार, अनुदान, कमीशन नहीं ले सकते हैं। क्या आप इसका समर्थन करते हैं? 1903 प्रतिभागियों में से 87 फीसदी ने इसका समर्थन किया जबकि 13 प्रतिशत की राय इसके खिलाफ रही।
क्या कहते हैं डॉक्टर: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. शिवकुमार उत्तरे ने इस सर्वे को लेकर अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को कमीशन प्रैक्टिस से बचना चाहिए। एनएमसी ने साफ तौर पर मनाही की है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : हेल्थ एक्टिविस्ट रवि दुग्गल ने जेनेरिक दवाइयों के संदर्भ में एनएमसी के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि नियम उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ लोग राज्य चिकित्सा परिषद में शिकायत कर सकते हैं। डॉक्टरों की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली की जरूरत है।
Created On :   19 Aug 2023 7:37 PM IST