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विश्व मधुमक्खी दिवस : शहद के गांव मांघर में मधुमक्खियां देखने आए सालभर में एक लाख पर्यटक
- पर्यटकों के लिए लगाए स्टाल से शहद और अन्य उत्पादन की बिक्री से कमाए 4 लाख रुपए
- मधुमक्खियां देखने आए सालभर में एक लाख पर्यटक
- 100% मधुमक्खी पालन का व्यवसाय
डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। वैसे पर्यटकों में एतिहासिक और धार्मिक स्थल देखने की ललक होती है, लेकिन अब ज्यादातर पर्यटकों की दिलचस्पी जैविक-ऑर्गेनिक खेती और ग्रामीण परिवेश देखने और वहां कुछ समय के लिए काम करने को लेकर भी देखी गई है। ऐसे ही इन दिनों पर्यटन का नया केंद्र उभर रहा है-सातारा के महाबलेश्वर तहसील स्थित मांघर गांव। यहां पर्यटक मधुमक्खी पालन और शहद के उत्पादन की प्रक्रिया देखने और जानने के लिए आते हैं। पिछले एक साल में मांघर गांव में एक लाख से ज्यादा पर्यटक आए हैं। महाबलेश्वर आने वाले पर्यटक मांघर गांव भी आते हैं, क्योंकि यह स्थल महाबलेश्वर से महज नौ किलेमीटर की दूरी पर स्थित है।
100% मधुमक्खी पालन का व्यवसाय
मांघर गांव अब शत-प्रतिशत मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करने का गांव बन गया है। मांघर प्रदेश का पहला शहद के गांव के रूप में विकसित हुआ है। राज्य सरकार ने मांघर को शहद (हनी) का गांव के रूप में विकसित करने की योजना 16 मई 2022 को शुरू की थी। एक साल पहले मांघर के लगभग 70 प्रतिशत परिवार मधुमक्खी पालन करते थे। महाबलेश्वर स्थित राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल (बोर्ड) के मध (शहद) निदेशालय के निदेशक दिग्विजय पाटील ने दैनिक भास्कर से बातचीत में यह जानकारी दी।
शहद के उत्पादन में इजाफा
पाटील ने बताया कि मांघर गांव में पहले साल भर में 2 हजार 200 किलो शहद का उत्पादन होता था। लेकिन अब पिछले एक साल में शहद का उत्पादन बढ़कर 3 हजार 800 किलो हो गया है। पिछले एक साल में मांघर गांव के लोगों को यहां आने वाले पर्यटकों के लिए लगाए जाने वाले स्टाल से शहद और अन्य उत्पादन की बिक्री से लगभग 4 लाख रुपए से ज्यादा आय प्राप्त हुई है।
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा
मधुमक्खियों को पराग और पुष्प रस मिलने के लिए सूर्यमुखी की खेती को बढ़ावा दिया।
यूरोपियन मधुमक्खी एपिस मेलीफेरा का बीज लाया गया।
ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दिया गया।
40 नई मधुमक्खी कॉलोनी विकसित हुईं।
खुला बाजार उपलब्ध, शहद की बिक्री कोई समस्या नहीं
पाटील ने बताया कि राज्य के 31 जिलों में 4 हजार 500 लोग मधुमक्खी पालन का व्यवसाय से जुड़े हैं। राज्य में साल भर में 1 लाख 59 हजार किली शहद का उत्पादन होता है। मधुमक्खी पालन करने वालों को खुला बाजार उपलब्ध होने के कारण शहद की बिक्री में कोई समस्या नहीं आती है। राज्य में शहद निदेशालय, सहकारी सोसायटी, एनजीओ भी शहद खरीदते हैं। निजी व्यापारी भी शहद खरीदते हैं। इसके बाद उसको प्रसंस्करण करके अपने ब्रांड के नाम पर बेचते हैं।
महाबलेश्वर में शुरु होगी अत्याधुनिक प्रसंस्करण इकाई
रवींद्र साठे, सभापति, राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के मुताबिक महाबलेश्वर में स्थित राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के मध निदेशालय में शहद उत्पादन के लिए अत्याधुनिक प्रसंस्करण इकाई के लिए अत्याधुनिक मशीनें खरीदी गई हैं। हनी पार्क बनाने का फैसला लिया गया है। ऑर्गेनिक शहद की खरीदी दर प्रति किलो 400 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए कर दी गई है। मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले मोम की खरीदी दर प्रति किलो 250 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए कर दी गई है। इससे मधुमक्खी विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर शनिवार को मधुमक्खी पालन करने वालों को मधुमित्र पुरस्कार प्रदान जाएगा। साथ ही मांघर गांव के मधुमक्खी पालन करने वाले सभी परिवारों को सम्मानित किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बजट में राज्य के हर जिले में शहद का गांव स्थापित करने की घोषणा की है।
शहद के ब्रांड को दिया जाएगा गांव का नाम
अंशु सिन्हा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के मुताबिक केंद्र सरकार के खादी ग्रामोद्योग आयोग का शहद मुधबन ब्रांड से उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन मांघर में उत्पादित शहद को शहद का गांव मांघर- मुधबन ब्रांड का नाम बेचने का फैसला लिया गया है। इसी तरह राज्य में जितने नए शहद के गांव स्थापित होंगे। वहां की शहद को भी उस गांव के नाम से पहचाना जाएगा।
पालघर, कोल्हापुर, चंद्रपुर में बनेगा शहद का गांव
बिपीन जगताप, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी (उद्योग), राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के मुताबिक सातारा का मांघर के बाद अब मई महीने के आखिर तक कोल्हापुर के भुदरगड तहसील के पाटगांव को शहद के गांव के रूप में विकसित करने की योजना शुरू की जाएगी। अमरावती के चिखलदरा तहसील के आमझरी गांव, पालघर के विक्रमगड तहसील के घानेघर गांव को चिन्हित किया गया है। चंद्रपुर के जिवती तहसील के एक गांव में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। गडचिरोली, रत्नागिरी और रायगड के एक-एक गांव को चिन्हित करके उसको शहद के गांव के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्रदेश में बढ़ रहा शहद का उत्पादन
वर्ष उत्पादन
साल 2022-23 - 1 लाख 59 हजार किलो
साल 2021-22 - 1 लाख 27 हजार किलो
साल 2020-21 - 1 लाख 17 हजार किलो
साल 2019-20 - 1 लाख 9 हजार किलो
साल 2018-19 - 81 हजार 787 किलो
साल 2017-18 - 68 हजार 607 किलो
Created On :   20 May 2023 8:30 PM IST