टीबी मरीजों को गोद लेने का आह्वान: 4 साल में टीबी से 1456 लोगों की मौत, 21,895 एक्टिव मरीज

4 साल में टीबी से 1456 लोगों की मौत, 21,895 एक्टिव मरीज
  • आशा वर्करों से मरीजों को नहीं मिल रहीं दवाएं
  • 4 साल में टीबी से 1456 लोगों की मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर. हर साल शहर में टीबी से औसतन 364 लोगों की मौत हो रही है। दवाओं की किल्लत की वजह से पिछले 4 माह से टीबी के मरीजों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध करा पाना मुश्किल हो रहा है। अनुमान है कि, शहर में टीबी के एक्टिव मरीजों की संख्या 22 हजार से अधिक है। अधिकारिक जानकारी के मुताबिक मार्च 2023 तक टीबी के मरीजों की संख्या 21,895 थी। इस हालात में वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना पूर्ण होने के आसार नजर नहीं आ रहे। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) के तहत सामुदायिक जुड़ाव पर विशेष जोर देने का प्रशासन का दावा भी खोखला साबित हो रहा है।

आशा वर्करों से मरीजों को नहीं मिल रहीं दवाएं

आंकड़ों के मुताबिक संतरानगरी में साल-दर-साल टीबी के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। टीबी से मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग टीबी की रोकथाम के लिए व्यापक उपाए शुरू होने का दावा कर रहा है। पहले टीबी की रोकथाम के लिए शहर में 10 डाॅट सेंटर शुरू किए गए थे। अब शहर के सभी 41 स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों के लिए नि:शुल्क दवा का इंतजाम करने का भरोसा जताया गया, लेकिन दवाओं का स्टॉक नहीं होने की वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आशा वर्करों को घर-घर भेजकर टीबी के मरीजों की पहचान करने व उन्हें दवा देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दवाओं की किल्लत की वजह से यह सेवा भी लगभग बंद हो गई है। टीबी के मरीजों को साइक्लोसिरिन, लाइनजोलिड क्लोफाजिमाइन, मोक्सीफ्लॉक्सेसिन पैरिडॉक्सिन और डिलामिण्ड नामक दवाओं की आवश्यकता होती है।

टीबी मरीजों को गोद लेने का आह्वान

टीबी की रोकथाम व उपचार के लिए कैबिनेट सचिव द्वारा 7 अक्टूबर, 2022 को सभी सचिवों को पत्र लिखकर "निक्षय मित्र’ पहल के तहत टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए अधिकारियों को प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया गया था। इस पहल में कैबिनेट सचिव सहित कैबिनेट सचिवालय के सभी अधिकारी शामिल हुए थे। कैबिनेट सचिव ने झारखंड के जामताड़ा स्थित टीबी क्लिनिक में अपना उपचार करा रहे सभी 15 टीबी रोगियों को गोद लिया, जबकि राज्य में अब भी इस पहल को प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। उपराजधानी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस पहल के तहत टीबी मरीजाें को गोद लेने की जिम्मेदारी से हाथ झटकते नजर आ रहे हैं।

Created On :   2 Oct 2023 7:15 PM IST

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