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8 महीने में दी 1.66 करोड़ नुकसान भरपाई
- वन्यजीवों की खेतों में घुसपैठ अनवरत जारी
- हुड़दंग मचाकर कर रहे फसलें चौपट
- किसान परेशान
डिजिटल डेस्क, नागपुर. वन्यजीवों की खेतों में घुसपैठ कम हाेने का नाम नहीं ले रही है। इससे एक ओर जहां उपज को नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर इंसानों की जान भी जोखिम में पड़ रही है। आंकड़ों के अनुसार गत 8 माह में नागपुर प्रादेशिक विभाग में 12 सौ से ज्यादा एकड़ खेती की उपज नुकसान हुआ है। जिसके लिए वन विभाग को 1 करोड़ 66 लाख रुपये से ज्यादा की भरपाई किसानों को देना पड़ा है। इसमें 3 किसानों की जान भी गई है, वहीं 17 जख्मी भी हुए हैं।
पेट पूजा की जुगत : नागपुर विभाग में वन क्षेत्र अंतर्गत दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड़, नरखेड, कोंढाडी, काटोल, हिंगणा, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी, खापा वन क्षेत्र आते हैं। इन वन क्षेत्र अंतर्गत हिरण, चौसिंघा, नीलगाय, जंगली सुअर से लेकर तेंदुआ यहां तक बाघ भी कभी-कभार दिखाई दे जाता है। इनमें ज्यादातर सुअर, हिरण, चौसिंघा, नीलगाय आदि खेतों में खाने की तलाश में आते हैं।
कई फसलें प्रभावित : खेती में लगने वाली ज्वार, गेहंू, धान यहां तक सब्जियां वन्य जीवों के पहुंच में आ रही हैं। रात को खाने की तलाश में यह वन्यजीव यहां आकर खेतों में लगी फसल को खाने के उद्देश्य से आते हैं लेकिन खाते कम और हुड़दंग मचाकर फसल का नुकसान ज्चादा करते हैं। जिससे कई बार किसान व वन्यजीवों में संघर्ष की स्थिति भी पैदा हुई है।
जनवरी से अगस्त तक नुकसान की स्थिति
1229 एकड़ का नुकसान
3 किसानों की मौत
17 अन्नदाता घायल
471 पशुहानी हुई
कुल 1719 मामले आए सामने
1 करोड़ 66 लाख 7 हजार 5 सौ 38 रुपये दिया हर्जाना
कम हो रही जंगल व खेती की दूरी
जानकारों की मानें तो वर्षों पहले वन्यजीव खेत तक नहीं पहुंच पाते थे। जिसका मुख्य कारण जंगल व खेती के बीच में बफर जोन था। यानी ऐसी खाली जगह जहां न तो खेती होती थी और न ही वन्यजीवों का बसेरा। जंगल व खेती के बीच में पड़ने वाली यह गैप काफी बड़ी होती थी। ऐसे में वन से निकलने वाले वन्यजीव खेत तक नहीं पहुंच पाते थे। जिससे खेती को नुकसान नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है। खेती का दायरा हर साल थोड़ा-थोड़ा बढ़ने से खेती जंगलों से कुछ ही दूरी तक पहुंच गई है।
Created On :   13 Aug 2023 6:20 PM IST