एचओजी प्रणाली से 22 गाड़ियां ग्रीन ट्रेन में परिवर्तित, प्रदूषण से मिली मुक्ति

एचओजी प्रणाली से 22 गाड़ियां ग्रीन ट्रेन में परिवर्तित, प्रदूषण से मिली मुक्ति
  • एचओजी प्रणाली अपनाने से 40 लाख लीटर डीजल की बचत
  • यात्रियों के लिए बैठने की क्षमता में हुई वृद्धि
  • गर्मी में यात्री बेहाल गाड़ियां घंटों लेट चलीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने ‘हेड ऑन जनरेशन’ (एचओजी) प्रणाली की स्थापना से इस वर्ष लगभग 40 लाख लीटर से भी अधिक डीजल की बचत की है। अत्याधुनिक एचओजी प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की 22 ट्रेनें हरित यानी ‘ग्रीन' ट्रेन के रूप में परिवर्तित हो गई हैं। अब ये गाड़ियां महंगे डीजल इंधन को जलाने की बजाय ओवर हेड उपकरण (ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली ले रही हैं, जिससे ट्रेनों के पंखे, लाइटें, एसी को विद्युत आपूर्ति करने में मदद मिल रही है। इसके पहले डीजल वाले जनरेटर का इस्तेमाल करना पड़ता था, जिससे डीजल की खपत बढ़ जाती थी।

इस तरह होती थी विद्युत आपूर्ति

एचओजी इंजन से सीधे इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पावर केबल की शक्ति का उपयोग करके प्रकाश और एसी कोच को विद्युत आपूर्ति करने की यह प्रणाली है। एलएचबी आधारित ट्रेनों के कोच के लिए विद्युत उत्पादन के सबसे आम तरीके को एड ऑन जेनरेशन (ईओजी) कहा जाता है। सभी एलएचबी गाड़ियों में बोगियों को विद्युत आपूर्ति करने के लिए डीजल इंजन ले जाने वाली पावर कार के दो सेट होते थे, जिसमें कोच में लाइट और एसी के लिए बिजली की आपूर्ति ट्रेन के दोनों सिरों पर लगाए गए विद्युत कारों में उपलब्ध डीजल जेनरेटर सेट के माध्यम से की जाती है। अब सभी 22 ट्रेनों में इंजन के माध्यम से ओवर हेड उपकरण (ओएचई) से विद्युत की सप्लाई की जा रही है ।

डीजल की नगण्य खपत के परिणाम स्वरूप करोड़ों रुपए के डीजल की वार्षिक बचत हो रही है। डीजल जलने से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने की ओर रेलवे की परिवहन व्यवस्था अग्रसर है। ट्रेनों में उच्च क्षमता वाले डीजल जनरेटर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से भी मुक्ति मिली है।

नए प्रकार की पावर कारों का निर्माण रेलवे ने छोटे इंजन वाले नए प्रकार की पावर कारों का निर्माण शुरू कर दिया है। इसमें जो स्थान पहले भारी इंजनों के लिए आरक्षित था, वह सामान्य वर्ग के बैठने के लिए उपयोग, इस प्रकार ट्रेनों में यात्रियों के लिए बैठने की क्षमता में वृद्धि हुई है।

आग के खतरों में कमी : डीजल जनरेटर से तेल और जनरेटर के अन्य खतरनाक ज्वलनशील उपकरणों को पृथक करने के कारण आग के खतरों में भी कमी आएगी।

बिलासपुर-चेन्नई एक्सप्रेस, बिलासपुर-पुणे, एक्सप्रेस, बिलासपुर-एर्नाकुलम एक्सप्रेस, बिलासपुर-पटना एक्सप्रेस, बिलासपुर-भगत की कोठी एक्सप्रेस, बिलासपुर-बीकानेर एक्सप्रेस, छग सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस, दुर्ग-निज़ामुद्दीन हमसफर एक्सप्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी एक्सप्रेस, दुर्ग-फिरोजपुर अंत्योदय एक्सप्रेस, कोरबा-रायपुर हसदेव एक्सप्रेस, दुर्ग-नौतनवा एक्सप्रेस, दुर्ग-कानपुर बेतवा एक्सप्रेस, दुर्ग-अजमेर एक्सप्रेस, कोरबा-अमृतसर, छग एक्सप्रेस, दुर्ग-जयपुर, एक्सप्रेस, दुर्ग-उधमपुर एक्सप्रेस, नौतनवा-दुर्ग एक्सप्रेस, दुर्ग-भोपाल,अमरकंटक एक्सप्रेस, रायगढ़-गोंदिया, जनशताब्दी एक्सप्रेस, बिलासपुर-नेताजी सुभाषचंद्र बोस इतवारी इंटरसिटी एक्सप्रेस और कोरबा-नेताजी सुभाषचंद्र बोस इतवारी शिवनाथ एक्सप्रेस शामिल हैं।

गर्मी में यात्री बेहाल गाड़ियां घंटों लेट चलीं

इन दिनों गर्मी चरम पर है, वहीं दूसरी ओर गाड़ियां विलंब से चलने के कारण यात्री बेहाल हो रहे हैं। हावड़ा लाइन से आने वाली 10 गाड़ियां बुधवार को घंटों लेट होने के कारण यात्री भीषण गर्मी में स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते रहे, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है।

यह गाड़ियां हुईं लेट

{ट्रेन नंबर 12860 हावड़ा सीएसएमटी गीतांजलि एक्स 4:45 घंटे

{12129 पुणे-हावड़ा आजाद

हिंद एक्सप्रेस 4:55 घंटे

{09716 एसएफ स्पेशल 3:40 घंटे

{05293 सिकंदराबाद स्पेशल 4:50 घंटे

{03259 दानापुर स्पेशल 2:40 घंटे

{18030 शालीमार-एलटीटी

एक्स 4:30 घंटे

{12810 हावड़ा-सीएसएमटी मेल

2:40 घंटे

{22906 शालीमार-ओखा एक्स.

3:20 घंटे

{12130 हावड़ा-पुणे आजाद हिंद

एक्स. 6 घंटे

{12262 हावड़ा-सीएशएमटी

दुरंतो एक्स. 5 घंटे

Created On :   4 April 2024 1:37 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story