इसलिए डूबा शहर: 8.50 किमी स्ट्रॉम ड्रेन लाइन की अनदेखी, 58 स्थानों पर नाले चोक

8.50 किमी स्ट्रॉम ड्रेन लाइन की अनदेखी, 58 स्थानों पर नाले चोक
  • 58 संभावित स्थानों की अनदेखी
  • स्ट्रॉम ड्रेन लाइन की अनदेखी पड़ी भारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. महानगरपालिका प्रशासन के मानसून पूर्व 227 नालों की सफाई पर बरसात की एक रात ने प्रश्नचिह्न लगा दिया है। मनपा ने शहर भर के करीब 55 से अधिक नालों के दुर्गम हिस्सों की सफाई में लापरवाही की है। ऐसे में शहर में रास्तों के बरसाती पानी को बहाकर बड़े नालों तक पहुंचाने वाली स्ट्राम ड्रेन लाइन की मुश्किलें पैदा कर गई। शहर में 8.50 किमी की स्ट्रॉम ड्रेन लाइन की सफाई की भी पूरी तरह से अनदेखी की गई। अजनी आरओबी से धंतोली आरओबी तक नाग नदी में मिलने वाली स्ट्रॉम ड्रेन लाइन के हालात पर प्रशासन का ध्यान तक नहीं रहा। ऐसे में नाग नदी का पानी कई हिस्सों में विभाजित नहीं हो पाया। इस इलाके में पूरी लाइन के भीतर मिट्‌टी और प्लास्टिक के ढेर जमा होने से ओवरफ्लो के पानी काे निकलने का रास्ता नहीं मिल पाया। फुटपाथ के दुकानदारों की खाद्य सामग्री के अवशेष, पत्थरों को जमा होने से हालात बद से बदतर हो गए।

अजनी आरओबी से धंतोली तक पहुंचनेवाली करीब 1 किमी स्ट्राम ड्रेन लाइन लंबे समय से भरी हुई है। लक्ष्मीनगर जोन कार्यालय के अधिकारियों ने सी-20 के दौरान रास्तों के निर्माणकार्य की सामग्री को भी स्ट्रॉम ड्रेन लाइन में डाला था। ऐसे में अजनी चौक के ढलान से बरसाती पानी को निकलने की कोई भी जगह नहीं मिल पाई। शनिवार को कांग्रेसनगर के रेलवे पटरी के किनारे तकिया समेत नार्मल स्कूल सरकारी बसाहत में भी जलजमाव बन गया।

जानें - क्या होती है स्ट्रॉम ड्रेन लाइन

शहर में रास्तों के चौड़ाईकरण और सीमेंटीकरण के चलते बरसाती पानी के गुजरने के विकल्प कम हो जाते हैं। ऐसे में रास्तों के किनारे अंडरग्राउंड स्ट्रॉम ड्रेन लाइन को तैयार किया जाता है। रास्ते के किनारे फुटपाथ के नीचे से नाले के रूप में प्रमुख नालों तक बरसाती पानी को पहुंचाया जाता है, ताकि परिसर के नीचे और दबे हुए इलाकों में जलजमाव नहीं हो पाए। शहर में करीब 8.50 किमी लंबी ड्रेनेज लाइन क्रियान्वित है। नाला सफाई में एप्रोच नालों की सफाई का दावा किया गया, लेकिन स्ट्रॉम ड्रेन लाइन को देखा तक नहीं गया।

58 संभावित स्थानों की अनदेखी

शहर में संभावित खतरे वाले हत्तीनाला गड्डीगोदाम, बालाभाऊपेठ, बोरियापुरा, डोबीनगर, लकड़ीपुल, तकिया, नरेंद्रनगर, बुरड नाले का समावेश है। इनमें से अधिकतर नालों पर सीमेंट रोड और छोटे पुल का निर्माणकार्य हो चुका है। वहीं दूसरी ओर आसीनगर, सतरंजीपूरा, गांधीबाग, महल, सदर, लक्ष्मीनगर में नालों के अंडरग्राउंड होने से सफाई संभव नहीं हो पा रही है। इन नालों के भीतर प्लास्टिक कैरीबेग और निर्माणकार्य सामग्री के जमा रहने से बहाव थम चुका है। बहाव को निकलने की व्यवस्था नहीं होने से बरसाती पानी घरों में पानी घुस जाता है।

बरसात से पहले शहर में 227 नालों समेत नाग नदी, पीली नदी और पोहरा नदी को सफाई की जाती है। इन नालों में जमा मलबे को हटाकर जलप्रवाह को सुचारू करने से भारी बरसात से जलजमाव नहीं होने का दावा किया जाता है। शहर में तीनों नदियों की सफाई को 21 अप्रैल को आरंभ किया गया है, लेकिन 12 जून तक 44 किमी में से केवल 17.8 किमी की ही सफाई हो पाई थी, जबकि गांधीबाग, सतरंजीपुरा और लकड़गंज क्षेत्र में सफाई अभियान का मुहूर्त तक नहीं निकला था। ऐसे में 14 जून को मनपा के मुख्य अभियंता राजीव गायकवाड़ ने तत्काल बैठक बुलाकर सभी अभियंताओं को 30 जून तक कामों को पूरा करने का अल्टीमेटम भी दिया था। बैठक में मुख्य अभियंता गायकवाड़ ने शक्ति नाला समेत करीब 58 जलजमाव वाले स्थानों को चिन्हित कर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया था, लेकिन सभी अभियंताओं ने स्थानीय पदाधिकारियों के निर्देश पर केवल भूमिपूजन और नए रास्तों के लोकार्पण तक सीमित दायरा रखा। प्रशासन का दावा रहा कि खतरनाक स्थानों पर जेट पंप को आरक्षित कर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी, लेकिन सफाई अभियान के साथ आपातकालीन व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से लापरवाही बरती गई। नाग नदी, पीली नदी और पोहरा नदियों के अधिकतर हिस्से में मलबा भी नहीं हटाया गया।

Created On :   25 Sept 2023 6:25 PM IST

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